Bangladesh Violence: बांग्लादेश की एक अदालत ने बुधवार को पुजारी चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Krishna Das) की जमानत याचिका खारिज कर दी, जो बांग्लादेश संयुक्त सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, जिन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने बुधवार को यह आदेश पारित किया। उन्होंने कहा कि दास के पास अपनी ओर से किसी वकील का लेटर ऑफ अटॉर्नी नहीं होने के कारण याचिका खारिज कर दी गई।
Bangladesh Violence: वकील रवींद्र घोष ने दायर की थी याचिका
इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि उनके वकील सुभाशीष शर्मा सुरक्षा कारणों से 3 दिसंबर को सुनवाई में शामिल नहीं हो सके। देश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम अलो की रिपोर्ट के अनुसार, “चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश कोर्ट के सरकारी वकील पीपी मोफिजुल हक भुइयां ने कहा कि राज्य पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि वकील रवींद्र घोष ने दास की ओर से केस लड़ने के लिए कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं दी है।” घोष ने चिन्मय (Chinmoy Krishna Das) की अग्रिम जमानत सुनवाई के लिए आवेदन किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, चिन्मय के वकील सुभाशीष शर्मा भी मौजूद नहीं थे। सुभाशीष ने रवींद्र घोष को केस लड़ने के लिए लिखित में कुछ नहीं दिया। बाद में, अदालत ने वकील रवींद्र घोष द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया। पता चला कि मामले में दो अन्य आरोपियों की जमानत पर सुनवाई भी बुधवार को होनी थी, लेकिन वकील की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।
भारत ने उम्मीद जताई है कि सुनवाई ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ होगी, क्योंकि गिरफ्तार हिंदुओं के पास कानूनी अधिकार हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। नई दिल्ली ने ढाका में अंतरिम सरकार के अधिकारियों से बार-बार हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
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रणधीर ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए किया था आह्वान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पिछले महीने कहा था, “अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। हम चरमपंथी बयानबाजी, हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं। इन घटनाक्रमों को महज मीडिया की अतिशयोक्ति के तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता। हम एक बार फिर बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का आह्वान करते हैं।”
सोमवार को ढाका की अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन के साथ अपनी बैठकों के दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में चिंताओं से ढाका को अवगत कराया था।