जम्मू: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मस्जिदों में सर्वेक्षण के मामलों में वृद्धि के लिए ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के फैसले को जिम्मेदार ठहराया है। चंद्रचूड़ के इस फैसले की वजह से अब हर मस्जिद में शिवलिंग की खोज की जा रही है, जो देश को विभाजन की ओर ले जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि यह हस्तक्षेप अजमेर शरीफ जैसे पवित्र मुस्लिम स्थलों तक भी फैल गया है। उन्होंने कहा कि विकास और नौकरियों जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ये कार्रवाई की जा रही है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने के सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले का जिक्र करते हुए जम्मू में संवाददाताओं से कहा कि 1991 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सभी धार्मिक स्थलों, चाहे वे मंदिर हों या मस्जिद, की स्थिति में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए जैसा कि 1947 में था।
एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो रहे हिंदू-मुसलमानः Mehbooba Mufti
उन्होंने कहा कि यह दखलंदाजी अजमेर शरीफ जैसे पवित्र मुस्लिम स्थलों तक भी फैल गई है। पीडीपी प्रमुख ने कहा कि अजमेर शरीफ में प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए मुसलमानों से ज्यादा हिंदू आते हैं। यह दरगाह 800 साल से भी ज्यादा पुरानी है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो मुझे डर है कि वे जल्द ही मुसलमानों के घरों की भी तलाशी लेना शुरू कर देंगे।
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देश की धर्मनिरपेक्ष नींव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू, गांधीजी, मौलाना अब्दुल कलाम, आजाद और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने इस देश को धर्मनिरपेक्षता की नींव पर खड़ा किया था। अब वही नींव हिल रही है। हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास देने के लिए न तो नौकरियां हैं, न अच्छे स्कूल या अस्पताल और न ही किसानों के लिए कोई सहायता। इसके बजाय, हिंदू-मुस्लिम संघर्ष पैदा करके इन ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।
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