Wednesday, January 8, 2025
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Kolkata doctor rape murder case: ‘विलफुल रेप’ के कानूनी अर्थ को लेकर विवाद, FIR पर उठे सवाल

Kolkata : RG Kar Medical College Hospital में जूनियर डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले में दर्ज एफआईआर की भाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एफआईआर में ‘विलफुल रेप’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जबकि कानून की भाषा में ‘इच्छाकृत बलात्कार’ जैसी कोई चीज नहीं होती। आंदोलनरत डॉक्टरों और वकीलों का एक बड़ा वर्ग इस विवाद को लेकर सवाल उठा रहा है।

FIR को लेकर बवाल

ताला थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 52 के तहत ‘फर्स्ट कंटेंट्स’ कॉलम में लिखा है, “अननोन मिसक्रीएंट्स कमिटेड विलफुल रेप विद मर्डर,” यानी अज्ञात लोगों ने जानबूझ कर बलात्कार और हत्या की। एफआईआर के मुताबिक घटनास्थल थाने से 750 मीटर दूर है और यह हत्या और बलात्कार सुबह 10:10 बजे से कुछ पहले हुआ।

इस एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 64 और 103 (1) का उल्लेख किया गया है। नए कानून के मुताबिक आईपीसी 64 बलात्कार की धारा है और 103 (1) हत्या की धारा है। साथ ही, एफआईआर में लिखा है कि “परिवार से प्राप्त शिकायत पत्र के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। उस शिकायत पत्र को ही एफआईआर माना गया है।”

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर भी सवाल

इस एफआईआर की भाषा पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शनकारी डॉक्टर और कई वकील कहते हैं कि ‘विलफुल रेप’ की कोई कानूनी परिभाषा नहीं है। मृतका की मां कहती हैं, “हमने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में लिखा था कि हमारी बेटी के साथ हुई क्रूरता में शामिल सभी लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए। फिर भी पुलिस ने एफआईआर में सिर्फ़ एक ही आरोपी का ज़िक्र क्यों किया?” उनका मानना ​​है कि उनकी बेटी के साथ जो हुआ, वह किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं हो सकता।

इस संदर्भ में वकीलों और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया है। रिपोर्ट में लिखा है, “जननांग में जबरन प्रवेश के मेडिकल सबूत मिले हैं, जो यौन उत्पीड़न की संभावना को दर्शाता है।” लेकिन पोस्टमार्टम में सीधे तौर पर बलात्कार का ज़िक्र नहीं किया गया है।

आंदोलन कर रहे एक डॉक्टर ने कहा कि पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार का कोई जिक्र नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि एक आरोपी है या एक से अधिक। फिर भी पुलिस ने ‘जानबूझकर बलात्कार’ कैसे लिख दिया? वकील मिलन मुखोपाध्याय कहते हैं, “जानबूझकर बलात्कार की कोई कानूनी परिभाषा नहीं है। यह बेहद हास्यास्पद है। यह कानूनी भाषा नहीं है। पुलिस ने यह कैसे लिख दिया, यह समझ से परे है।”

यह भी पढ़ेंः-Nabanna campaign : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोलकाता पुलिस को नोटिस जारी किया

सूत्रों के अनुसार मामले की जांच सीबीआई कर रही है और एफआईआर में इस्तेमाल की गई भाषा की भी जांच की जा रही है। पुलिस और परिजनों से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विवादित एफआईआर की भविष्य में क्या स्थिति बनती है और न्यायिक प्रक्रिया में इसे किस तरह देखा जाता है।

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