मुंबईः लोकसभा नतीजों के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है। इसकी वजह यह है कि शिंदे गुट के 6 शिवसेना विधायक उद्धव ठाकरे के संपर्क में हैं और एनसीपी अजित पवार गुट के करीब 16 विधायक शरद पवार के संपर्क में हैं। निर्दलीय विधायक बच्चू कडू भी मौजूदा शिंदे सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने 10 निर्दलीय विधायकों के साथ शिंदे सरकार को समर्थन दिया था।
हो सकती है अंदरूनी जोड़-तोड़
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद गुरुवार को एनसीपी अजित पवार गुट की ओर से विधायकों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 5 विधायक अनुपस्थित रहे। इसके बाद एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने दावा किया कि अजित पवार गुट के करीब 16 विधायक शरद पवार के संपर्क में हैं। इन सभी विधायकों की घर वापसी को लेकर चर्चा चल रही है। हालांकि एनसीपी अजित पवार के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने इसका खंडन करते हुए कहा कि कोई भी विधायक शरद पवार की पार्टी में नहीं जाएगा, लेकिन फिर भी अंदरूनी जोड़-तोड़ जारी रहने की चर्चा तेज है। इसी तरह कल हुई एकनाथ शिंदे की बैठक में भी शिवसेना शिंदे गुट के कई विधायक अनुपस्थित रहे।
इसके बाद चर्चा है कि शिंदे गुट के करीब छह विधायक उद्धव ठाकरे की शिवसेना में लौटने को तैयार हैं। हालांकि, शिवसेना शिंदे गुट के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। लोकसभा चुनाव में हमारे सात उम्मीदवार जीते हैं, जिनमें किसी तरह का असंतोष नहीं है। शिवसेना की उपनेता सुषमा अंधारे ने कहा कि शिंदे गुट के कई विधायक लंबे समय से उद्धव ठाकरे की शिवसेना में लौटना चाह रहे हैं, लेकिन पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं को इन विधायकों की घर वापसी पसंद नहीं है। फिर भी जो विधायक शिवसेना अध्यक्ष की आलोचना नहीं करते, उनके नाम पर विचार किया जा सकता है।
बड़े राजनीतिक उलटफेर की संभावना
इन सबके बाद भी लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद राज्य में बड़े राजनीतिक उलटफेर की चर्चा जोरों पर है। इस लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने 31 और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है। महाराष्ट्र के कुल 288 विधानसभा क्षेत्रों में से महाविकास अघाड़ी को करीब 185 सीटों पर बढ़त हासिल है। इन नतीजों में शिंदे गुट और अजित पवार गुट के ज्यादातर विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में महाविकास अघाड़ी को जबरदस्त बढ़त मिली है। इस कारण ये सभी विधायक अंदर ही अंदर परेशान हैं। इसकी एक और वजह यह भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के 23 और शिवसेना के 18 सांसद जीते थे।
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इनमें अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इनमें से भाजपा के सिर्फ 9 उम्मीदवार ही सांसद बन पाए। इसी तरह शिवसेना के 18 सांसदों में से 14 सांसद सीएम शिंदे की शिवसेना के थे। शिंदे गुट ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन शिंदे की शिवसेना के सिर्फ 7 उम्मीदवार ही सांसद बन पाए। अजित पवार की एनसीपी के 4 सांसद अजित पवार के साथ थे, लेकिन इनमें से सिर्फ एक सुनील तटकरे ही सांसद बनने में सफल हो पाए हैं। इन परिस्थितियों में एनसीपी के अजित पवार गुट और शिंदे गुट के शिवसेना विधायकों में असंतोष है, इसलिए आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक उलटफेर की संभावना पहले से ही जताई जा रही है।
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