हमीरपुरः महात्मा गांधी (mahatma gandhi) बुन्देलखंड की धरती पर अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को संगठित करने के लिए यहां आये थे। तब उन्हें देखने के लिए आम लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। सार्वजनिक सभा में बापू ने लोगों से अंग्रेजों के खिलाफ नारे भी लगवाए थे। नागरिक आंदोलन के दौरान लोगों ने पैसे दान कर 1514 रुपये की थैली बापू को भेंट की थी। आज उनकी पुण्य तिथि पर एक परिवार बापू को याद कर रहा है, जहां महात्मा गांधी ने रात बिताई थी।
लोगों को सुनाए अपने विचार
अंग्रेजों के खिलाफ देशभर में लोगों को एकजुट करने के लिए महात्मा गांधी ने बुंदेलखण्ड की रणभूमि महोबा में कदम रखा था। 21 नवंबर 1929 को जब गांधी जी महोबा आए तो हजारों लोगों ने उनके समर्थन में नारे लगाए। आजादी के दीवानों ने बापू को रुपयों से भरी थैली भेंट की थी। हमीरपुर के अधिसूचित क्षेत्र राठ नगर के चेयरमैन सेठ हीरालाल अग्रवाल के प्रपौत्र अजय अग्रवाल ने बताया कि राठ कस्बे में बापू की जनसभा आयोजित करने की व्यवस्था की गई थी। कुलपहाड़ से उसे लाने के लिए यहां से गाड़ी भेजी गई। गांधीजी हजारों लोगों की भीड़ के साथ रथ आये।
बताया कि महात्मा गांधी ने यहां गोल मंच पर एक सार्वजनिक सभा में हजारों लोगों को अहिंसक आंदोलन के लिए प्रेरित किया था। उनके आह्वान पर लोग आजादी के लिए सड़कों पर उतर आये। बताया कि गांधी जी के विचारों को सुनने के बाद हजारों लोगों ने एक-एक पैसा दान करके 1514 रुपये इकट्ठा किये थे और लोगों ने पैसों से भरी थैली गांधी जी को भेंट की थी। बताया कि यहां के लोगों ने गांधीजी को एक ताम्रपत्र दिया था जिसे बापू हवेली में छोड़ गये थे। गांधी जी के जाने के बाद दीवान शत्रुघ्र सिंह, स्वामी ब्रह्मानंद, देवकी नंदन सुलेरे समेत कई क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया था। ये इकलौता परिवार है जो गांधीजी के संस्मरण सुनाते हुए भावुक हो जाता है।
गांधीजी ने पुरानी हवेली में फर्श पर बैठकर किया भोजन
अधिसूचित क्षेत्र राठ के चेयरमैन स्वर्गीय हीरालाल अग्रवाल के प्रपौत्र अजय अग्रवाल राठ कस्बे में ही अपना व्यवसाय चलाते हैं। उन्होंने गांधीजी के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि बड़े परिवार से होने के बावजूद बापू यहां सिर्फ मैरून धोती पहनकर आये थे। वह छड़ी हमेशा अपने पास रखते थे। बताया कि आंदोलन के दौरान गांधी जी महोबा से कुलपहाड़ होते हुए राठ आए थे, फिर एक जनसभा करने के बाद बापू उनके यहां आए थे। पुरानी हवेली में जमीन पर बैठकर भोजन किया।
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गांधीजी की हत्या के बाद बुन्देलखण्ड क्षेत्र में नहीं जलाये गये चूल्हे
बुजुर्ग हो चुके अजय अग्रवाल ने बताया कि दादा सेठ हीरालाल अग्रवाल की छोटी बहू कृष्णा देवी गांधी जी से उनकी बात हुई थी। उस वक्त वह 10 साल की थीं। बताया कि जब महात्मा गांधी की हत्या की खबर पूरे देश में फैली तो राठ क्षेत्र के दर्जनों गांव शोक में डूब गये। लोगों के घरों में चूल्हे तक नहीं जले। कई दिनों तक इलाके में मातम छाया रहा। बताया कि जिस हवेली में गांधीजी ने रात्रि विश्राम किया था। यह खंडहर हो चुका है। वर्तमान में इसका अस्तित्व भी समाप्त हो चुका है।