Year Ender, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में साल 2023 दो माफियाओं के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा है। इसमें पहले नंबर पर माफिया अतीक अहमद है, जो अब इस दुनिया में नहीं है। वहीं, माफिया मुख्तार अंसारी बांदा जेल की तन्हाई बैरक में सजा काट रहे हैं। हालांकि पुलिस ने अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए पूरे साल कार्रवाई जारी रखी। लगातार कार्रवाई से कई अपराधी मारे गये और कई को गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की गयी।
सीएम योगी के बयान के बाद कसा शिकंजा
साल 2023 की शुरुआत में फरवरी महीने में विधानसभा सत्र चल रहा था। प्रयागराज की धरती पर बसपा विधायक राजूपाल की हत्या के मुख्य गवाह और वकील उमेश पाल को माफिया अतीक अहमद के इशारे पर गोलियों से भून दिया गया। इसका असर 25 फरवरी को विधानसभा सत्र में देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में प्रयागराज की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस माफिया को जमींदोज कर देंगे।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद यूपी पुलिस की उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने माफिया अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। स्पेशल टास्क फोर्स के डीआइजी अनंत देव तिवारी के नेतृत्व वाली टीम में शामिल पुलिस उपायुक्त नवेंद्रु कुमार और पुलिस उपायुक्त विमल कुमार की टीम को 13 अप्रैल को झांसी में अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम मोहम्मद के बारे में जानकारी मिली। झाँसी में एसटीएफ टीम द्वारा घेरने के बाद मुठभेड़ में मारे गये।
असद और गुलाम के एनकाउंटर की चर्चा उत्तर प्रदेश में हो ही रही थी कि तभी तीन युवा शूटरों ने प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को गोली मार दी। मीडियाकर्मी जैसे दिखने वाले शूटरों ने अपना काम करने के बाद वहीं सरेंडर कर दिया। अतीक अहमद की मौत की खबर जब प्रयागराज से लखनऊ पहुंची तो हड़कंप मच गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत प्रदेश के सभी कानून-व्यवस्था अधिकारियों को बुलाकर बैठक की।
मुठभेड़ में अतीक गैंग के कुछ और शूटर मारे गए लेकिन सबसे खतरनाक माना जाने वाला गुड्डु मुस्लिम उर्फ बमबाज गुड्डु पकड़ा नहीं गया। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स की टीमें गुड्डु मुस्लिम की तलाश में जुटी हुई हैं।
मुख्तार को कई मामलों में मिली सजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफिया विरोधी अभियान में मुख्तार अंसारी का नाम सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया मुख्तार अंसारी का नाम हमेशा मऊ, घोसी और ग़ाज़ीपुर के चुनाव में आता रहता है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार पर हमला बोलकर बड़ा संदेश दिया है। इसके बावजूद मुख्तार अंसारी और उनके गिरोह का मऊ, घोसी और ग़ाज़ीपुर में अब भी राजनीतिक कब्ज़ा बरकरार है।
गैंगस्टर मामले में चार साल की सजा सुनाए जाने के बाद गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद अफजाल अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। अफ़ज़ाल अंसारी की खोई हुई संसद सदस्यता बहाल हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता पर अंतरिम रोक लगा दी है।
चुनाव लड़ने पर रोक लगने के बाद माफिया मुख्तार अंसारी पर लखनऊ स्थित जेल मुख्यालय में सीसीटीवी कैमरों की मदद से दिन-रात निगरानी की जा रही है। जिन बड़े मामलों में उनका नाम आया है उनमें से ज्यादातर में मुख्तार अंसारी को सजा हो चुकी है। वाराणसी के अवधेश सिंह हत्याकांड में भी अब मुख्तार अंसारी दोषी साबित हो गए हैं।
मुख्तार अंसारी के आर्थिक साम्राज्य को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी बेनामी संपत्तियों की जांच कराई है। जिसमें प्रदेश में अवैध इमारतों पर बुलडोजर चलाकर एंटी माफिया संदेश भी दिया गया है। मुख्तार से जुड़े बिल्डरों की अवैध रूप से बनाई गई संपत्तियों की जांच कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा स्पेशल टास्क फोर्स के निशाने पर माफिया मुख्तार अंसारी के शूटर हैं, जिनकी सूचना पर फोर्स कार्रवाई कर रही है।
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माना जा रहा है कि साल 2024 में जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव हैं वहीं दूसरी तरफ माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की कार्रवाई और भी तेज होगी। मुख्तार अंसारी के परिवार के सदस्यों के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है। ऐसे में वर्ष 2024 में माफिया विरोधी अभियान को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
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