शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चल रहे मानसून सत्र (HP Monsoon Session) की पांचवीं बैठक की शुरुआत हंगामेदार हुई। शुक्रवार को आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकार नहीं होने पर विपक्षी दल बीजेपी ने सदन से वॉकआउट कर दिया। इस मुद्दे पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
दरअसल, बीजेपी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष को नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस दिया था। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव का मुद्दा उठाया और कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरियों का जिक्र करते हुए इस पर तुरंत चर्चा की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे खारिज कर दिया।
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं: अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इस विषय पर राज्य सरकार की ओर से जानकारी आयी है। सदन के नियमानुसार स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। इस पर विपक्षी सदस्य नाराज हो गए और नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के वॉकआउट की आलोचना करते हुए कहा कि अखबारों की सुर्खियों में बने रहने के लिए विपक्ष ने वॉकआउट किया है। सदन में विपक्ष गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
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विपक्ष झूठ बोल रहा है: मुख्यमंत्री
CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि विपक्ष झूठ बोल रहा है। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में सेवारत कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं मिलने का विपक्ष का आरोप तथ्यों से परे है। इन कर्मचारियों को 30 जून तक वेतन का भुगतान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार इन कर्मचारियों को दो बार तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार दे चुकी है। अब तक उन्हें 30 सितंबर तक सेवा विस्तार मिल चुका है। कर्मचारियों का बकाया वेतन भी जल्द जारी कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आउटसोर्स कर्मचारियों के बारे में झूठ बोलकर गुमराह कर रहा है।
छह माह से नहीं मिला वेतन : जयराम ठाकुर
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि करीब 10 हजार आउटसोर्स कर्मचारी सड़कों पर हैं। अकेले स्वास्थ्य विभाग से दो हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वालों को बाहर किया जा रहा है। इन कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं मिला है। एक तरफ सरकार बेरोजगारों को पांच लाख नौकरियों की गारंटी दे रही है, वहीं दूसरी तरफ कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है।
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