Tuesday, December 17, 2024
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Kheti Kisani: बलुई मिट्टी में भी खूब लहलहाएगा बाजरा, कृषि वैज्ञानिक दे रहे इसके बुवाई का सुझाव

millet

लखनऊः यूपी में बाजरा (millet) की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान वैज्ञानिक भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। वह किसानों को खेती के उन्नत तरीकों के प्रशिक्षण में बाजरे को मुख्य तौर पर शामिल कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे यहां की मिट्टी बाजरा के अनुकूल है और तमाम तरह से यह किसानों के लिए हितकारी है। अभी आने वाले दिनों में भी बाजरे को बोया जा सकता है। भले ही बारिश खूब हो रही हो, खेतों में पानी भरा हो लेकिन बाजरा बोने का अवसर किसानों को अभी जरूर मिलेगा।

खेती के लिए किसानों को मोटे अनाज वाली फसलों की खूबियां समझने की जरूरत है। वैसे भी अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 में मोटे अनाज को प्रमुखता दी जा रही है। इसमें बाजरा जैसे मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान में बाजरे को बाजार में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं।

केंद्र और राज्य सरकार भी कह रही है कि किसान बाजरा उगाएं, इसको उचित दाम व बाजार दिलाना हमारा काम है इसलिए मोहभंग हो चुके किसानों को उनके ढर्रे पर लाने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। किसान वैज्ञानिक सत्येंद्र सिंह इन दिनों गांवों में बाजरे की खेती के लिए किसानों को लुभा रहे हैं और इसकी खूबियों के प्रति उन्हें जागरूक कर रहे हैं। किसान वैज्ञानिक का कहना है कि गेहूं, धान, गन्ने के बाद प्रदेश की चैथी फसल है बाजरा। इसकी दूसरी खूबी यह भी है कि खाद्यान्न के अलावा चारे के रूप में भी यह प्रयुक्त होता है।

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पोषक तत्वों से भरपूर है बाजारा

इसमें तमाम तरह के पोषक तत्व हैं। उन्होंने किसानों को जागरूक करने के मकसद से बताया कि हमारा क्षेत्र ऐसा है, जिसमें बाजरा (millet) की खेती काफी सरलता से की जा सकती है। वैसे भी बाजरा हर तरह की जमीन में पैदा हो सकती है। इन दिनों इसे बोया भी जा सकता है। जो किसान बारिश के भय से विचलित हैं, उनको धैर्य रखने की जरूरत है। जुलाई और अगस्त माह में बाजरा की खेती की जा सकती है।

इसमें न्यूनतम पानी की जरूरत होती है और इसके भी शोधित बीज बाजार में मौजूद हैं। लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर और हरदोई की मिट्टी में विशेषता है कि कोई भी फसल को अगेती और पिछेती के दिनों में बो सकते हैं। इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है, लिहाजा बारिश बंद होने पर खेतों में डाली गई गोबर की खाद ही इसके लिए उचित मात्रा में उर्वरक का काम करेगी।

बलुई मिट्टी में भी करें बुवाई

बाजरा (millet) को सींचने की जरूरत नहीं पड़ती है, इसमें कीड़ों और रोगों का भी डर नहीं रहता है, इसलिए किसान इसको अपनी पारंपरिक खेती में लौटते हुए देख सकते हैं। यह किसानों के साथ राष्ट्र को भी आर्थिक रूप से मजबूती देने में मदद करेगा, साथ ही ज्यादा से ज्यादा खनिज, विटामिन, खाने के लिए रेशे और अन्य पोषक वाले अनाज के प्रति नई पीढ़ियों की रूचि बढ़ेगी।

हमें तमाम तरह के नूडल्स बाजरे के मिलने लगे हैं। इसकी डिमांड ज्यादा होने के कारण यह हाथों-हाथ बिकने लगा है। किसान इसको अपने खेतों में लहलहाते हुए देखें, इसके लिए खुले मन से बीज खरीदें और अगस्त के पहले सप्ताह तक इसकी बुवाई कर दें। नदियों के किनारे वाले स्थानों की मिट्टी जैसे बलुई में भी इसकी बुवाई करें। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका खूब उत्पादन होगा।

इन खास किस्मों का रखें ध्यान

डॉ. संजय सिंह ने किसानों को बाजरा संबंधित कुछ खास बीज बोने की सलाह दी है। बाजरा की संकुल किस्मों घनशक्ति, डब्लूसीसी 75, आईसीएमबी 155, आईसीटीपी-8203, राज-171 तथा न देपफ बी.-3 तथा संकर किस्मों 86 एम 84, पूसा-322 आईसीएमएच 451 तथा पूसा 23 की बुवाई करें। ज्वार की संकुल प्रजातियों यथा एसपीबी 1388 (बुन्देला) सीएसबी 15 वर्षां, विजेता व सीएसबी 13 तथा संकर प्रजातियों सी.एस.एच.-23 13, 18, 14, 9, 16 की बुवाई यदि अभी तक नहीं की है, तो यथाशीघ्र समाप्त करें।

(रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी, लखनऊ)

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