Friday, November 8, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeफीचर्डशिक्षक भर्ती घोटालाः मास्टर माइंड तक क्यों नहीं पहुंच पा रहे...कलकत्ता हाईकोर्ट...

शिक्षक भर्ती घोटालाः मास्टर माइंड तक क्यों नहीं पहुंच पा रहे…कलकत्ता हाईकोर्ट ने ED-CBI से मांगी रिपोर्ट

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला मामला काफी लंबे समय से चल रहा है। जबकि इस मामले कई लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। लेकिन अभी तक इस घोटाले के मास्टर माइंड तक ईडी और सीबीआई नहीं पहुंच पाई है। वहीं अब कलकत्ता कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) की न्यायाधीश अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने शुक्रवार को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों से उन उम्मीदवारों की विस्तृत सूची मांगी, जिन्होंने रिश्वत देकर पश्चिम बंगाल के स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति हासिल की थी। जस्टिस सिन्हा ने दोनों केंद्रीय एजेंसियों को इस संबंध में 19 अगस्त तक अलग-अलग रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.

इससे पहले, ईडी के वकील ने मामले में एजेंसी की प्रगति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी। पता चला है कि प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती मामले में कुल लेनदेन 350 करोड़ रुपये आंका गया है। ईडी ने अदालत को यह भी बताया कि उनके अधिकारियों ने स्कूल भर्ती मामले में अब तक 126.70 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

ये भी पढ़ें..बाढ़ प्रभावित राज्यों में वायुसेना का रेस्क्यू ऑपरेशन, 126 लोगों को बचाया गया

सीबीआई का दावा टीएमसी नेता है मुख्य आरोपी

सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ को एक अलग रिपोर्ट सौंपी जिसमें दावा किया गया कि घोटाले के आरोपी और निष्कासित तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता कुंतल घोष ने स्कूल भर्ती घोटाले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव का नाम लेने के लिए एजेंसी पर दबाव डाला था। सीबीआई के वकील ने दावा किया, “घोष द्वारा कोलकाता में एक विशेष अदालत के न्यायाधीश के साथ-साथ शहर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को लिखे गए पत्रों में लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है।” मामले में सीबीआई के वकील ने प्रेसीडेंसी सेंट्रल करेक्शनल होम के अधिकारियों पर परिसर के अंदर सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने में लापरवाही का भी आरोप लगाया, जहां कुंतल घोष बंद हैं।

सीबीआई के वकील ने अदालत (Calcutta High Court) को सूचित किया, “जेल मैनुअल के अनुसार, 180 दिनों के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करना आवश्यक है। लेकिन इस मामले में सुधार गृह अधिकारी सात दिनों से अधिक पुराने फुटेज प्रदान नहीं कर सके।” इसके बाद जस्टिस सिन्हा ने दोनों जांच एजेंसियों के वकीलों से सवाल किया कि उनके अधिकारियों को मामले के सरगना तक पहुंचने में इतना समय क्यों लग रहा है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें