कोलकाताः पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला मामला काफी लंबे समय से चल रहा है। जबकि इस मामले कई लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। लेकिन अभी तक इस घोटाले के मास्टर माइंड तक ईडी और सीबीआई नहीं पहुंच पाई है। वहीं अब कलकत्ता कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) की न्यायाधीश अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने शुक्रवार को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों से उन उम्मीदवारों की विस्तृत सूची मांगी, जिन्होंने रिश्वत देकर पश्चिम बंगाल के स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति हासिल की थी। जस्टिस सिन्हा ने दोनों केंद्रीय एजेंसियों को इस संबंध में 19 अगस्त तक अलग-अलग रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
इससे पहले, ईडी के वकील ने मामले में एजेंसी की प्रगति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी। पता चला है कि प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती मामले में कुल लेनदेन 350 करोड़ रुपये आंका गया है। ईडी ने अदालत को यह भी बताया कि उनके अधिकारियों ने स्कूल भर्ती मामले में अब तक 126.70 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।
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सीबीआई का दावा टीएमसी नेता है मुख्य आरोपी
सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति सिन्हा की पीठ को एक अलग रिपोर्ट सौंपी जिसमें दावा किया गया कि घोटाले के आरोपी और निष्कासित तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता कुंतल घोष ने स्कूल भर्ती घोटाले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव का नाम लेने के लिए एजेंसी पर दबाव डाला था। सीबीआई के वकील ने दावा किया, “घोष द्वारा कोलकाता में एक विशेष अदालत के न्यायाधीश के साथ-साथ शहर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को लिखे गए पत्रों में लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है।” मामले में सीबीआई के वकील ने प्रेसीडेंसी सेंट्रल करेक्शनल होम के अधिकारियों पर परिसर के अंदर सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने में लापरवाही का भी आरोप लगाया, जहां कुंतल घोष बंद हैं।
सीबीआई के वकील ने अदालत (Calcutta High Court) को सूचित किया, “जेल मैनुअल के अनुसार, 180 दिनों के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करना आवश्यक है। लेकिन इस मामले में सुधार गृह अधिकारी सात दिनों से अधिक पुराने फुटेज प्रदान नहीं कर सके।” इसके बाद जस्टिस सिन्हा ने दोनों जांच एजेंसियों के वकीलों से सवाल किया कि उनके अधिकारियों को मामले के सरगना तक पहुंचने में इतना समय क्यों लग रहा है।
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