मेहसाणा: गुजरात के मेहसाणा जिले की एक अदालत ने गुरुवार को दूधसागर डेयरी से जुड़े सागरदाना घोटाले में पूर्व मंत्री विपुल चौधरी समेत 15 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें सात साल कैद की सजा सुनाई। घोटाले में चार कर्मचारियों को संदेह का लाभ देते हुए मामले से बरी कर दिया गया।
मेहसाणा स्थित दूधसागर डेयरी के तत्कालीन चेयरमैन विपुल चौधरी ने साल 2013 के दौरान 22.50 करोड़ रुपये का सागरदाना महाराष्ट्र भेजा था। इसमें घोटाले का खुलासा होने के बाद कुल 22 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इनमें से तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है। बाकी 19 आरोपियों में से 15 को कोर्ट ने दोषी करार दिया है, जबकि चार को बरी कर दिया गया है। दूधसागर डेयरी पर सागरदाना को बिना मंजूरी के महाराष्ट्र भेजने का आरोप लगा था। इससे डेयरी को 22.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आरोप था कि सागरदाना को तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को खुश करने के लिए भेजा गया था। विपुल चौधरी एनडीडीबी के चेयरमैन बनने की इच्छा रखते थे।
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महाराष्ट्र में अकाल की स्थिति थी, इसलिए नियमों का उल्लंघन करते हुए दूधसागर डेयरी ने महाराष्ट्र में महानंदा डेयरी को अनाज भेजा। फ़ीड भेजने के लिए GMMFC की मंजूरी आवश्यक थी। 17 अगस्त 2018 को सागरदाना को महाराष्ट्र भेजने के लिए विपुल चौधरी को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद विपुल चौधरी को 30 दिन के अंदर रकम लौटाने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही उनके डेयरी चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने डेयरी का चुनाव लड़ा और जीतकर चेयरमैन पद पर आसीन हुए. चेयरमैन बनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें राहत मिली थी।
विपुल चौधरी 1995 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए और केशुभाई पटेल की सरकार में मंत्री बने. 1996 में, उन्होंने शंकर सिंह वाघेला का साथ दिया जिन्होंने केशुभाई की सरकार को गिरा दिया और वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। बाद में कांग्रेस के समर्थन से बनी वाघेला सरकार में वह गृह राज्य मंत्री बने। कुछ समय बाद बाघेला से अनबन के कारण वह उनसे भी अलग हो गये। पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव में वह अर्बुदा सेना बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने चुनाव से दूरी बना ली।
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