लखनऊः विधान परिषद उपचुनाव में अधिकतर यह नहीं होता है कि विपक्ष कोई उम्मीदवार खड़ा करे, क्योंकि विधानसभा में जिस दल का बहुमत होता है। उसी दल का उम्मीदवार विजयी होता है। लेकिन समाजवादी पार्टी ने एक नई परम्परा डाली है। विपक्ष में रहने के बाद विधान परिषद के उपचुनाव में प्रत्याशी को हराने के उद्देश्य से उतारा है। समाजवादी पार्टी पिछड़े और दलित की बात कर रही है लेकिन यहां पर दोनों पिछड़े और दलित प्रत्याशियों का हारना तय है।
समाजवादी पार्टी पर हमला बोलते हुए यह बातें मंत्री सुरेश खन्ना ने कहीं। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि सपा ने हराने के लिये पिछड़े और दलित को मोहरा बनाया अर्थात एक राजभर और एक एससी समुदाय का व्यक्ति हारेगा। जब जीतना होता है कि तब समाजवादी पार्टी उस समुदाय को टिकट देती है जो उसके अपने वोट बैंक कहे जाते हैं। यहां केवल हारने के लिये सपा ने रामजतन राजभर तथा रामकरन निर्मल को उम्मीदवार बनाया गया है।
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उल्लेखनीय है कि एमएलसी उपचुनाव में संख्या बल न होने के बावजूद भी सपा ने दोनों रिक्त सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम का एलान किया है। हालांकि राजनीतिक जानकार इसे भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के र्निविरोध न होने के लिए सपा द्वारा अड़ंगा लगाने वाला कदम ही बता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एमएलसी के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने पदमसेन चौधरी और मानवेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के दोनों उम्मीदवारों ने गुरूवार को नामांकन दाखिल कर दिया है। 22 मई को नाम वापसी की अंतिम तिथि है। जबकि 29 मई को मतदान होगा और इसी दिन नतीजों का एलान कर दिया जाएगा। यूपी विधानसभा के सदस्य दोनों सदस्यों का चुनाव करेंगे।
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