नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक तैयार किया जा रहा है। इसके लिए 2 जनवरी 2023 तक आम लोगों की राय मांगी गई थी। यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच के समक्ष दाखिल अपने हलफनामे में दी है। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच मंगलवार को व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 18 जनवरी को भी सुनवाई जारी रखेगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि जल्द ही संसद के समक्ष व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पेश किया जाएगा। इस मसौदा विधेयक को आगे ले जाने की दृष्टि से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय से प्राप्त फीडबैक और सुझावों का मिलान और विश्लेषण करने की प्रक्रिया जारी है। यह मसौदा विधेयक 18 नवंबर 2022 को प्रकाशित हुआ था। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत में डिजिटल प्रति सुरक्षा को नियंत्रित करने वाला एक व्यापक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रायल ने एक मसौदा विधेयक डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 तैयार किया है।
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जस्टिस केएम जोसेफ के अलावा इस संविधान बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ह्रषिकेश राय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल हैं। 29 सितंबर 2022 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती दी गई है। व्हाट्सएप को अब फेसबुक( मेटा ) ने अधिगृहित कर लिया है। दीवान ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी में विसंगतियां हैं। यूरोपीय देशों में अलग कानून है जबकि भारत में अलग। यूरोपीय युजर्स ज्यादा बेहतर प्राइवेसी का उपभोग करते हैं जबकि भारतीय युजर्स को उतनी प्राइवेसी नहीं मिलती। उन्होंने कहा था कि प्राइवेसी एक वैश्विक मानवाधिकार है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संसद से डाटा प्रोटेक्शन बिल वापस ले लिया गया है और एक विस्तृत डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया जा रहा है।
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