लखनऊः आम वास्तव में फलों का राजा है। इस राजा की रक्षा केवल किसान कर सकता है और किसान इन दिनों अपने बाग को मन लगाकर जोत रहा है ताकि आने वाले समय में राजा की पकड़ कमजोर न पड़ने पाए। बीते साल गर्मी जल्द पड़ने लगी थी और बारिश भी काफी पहले ही हो गई थी। इससे आम की फसल ज्यादा दिन नही टिक पाई थी। इस साल किसान अभी से पूरी शिद्दत के साथ बाग को मौसमी ज्वार-भाटा से निपटने के लिए तैयार कर रहा है। किसानों का कहना है कि यदि वह अभी बाग की सेवा कर ले जाते हैं, तो आम की उपज काफी होगी और ज्यादा दिन तक चलेगी।
वैसे तो आम का फल सर्दियों में भी खाने को मिल जाता है, लेकिन वह लखनऊ शहर का नहीं होता है। यहां का आम पूरी दुनिया में ख्याति पा चुका है, इसलिए किसान पूरी लगन के साथ हर मौसम में अपने आम के पेड़ को पुष्ट करने के लिए जुटा रहता है। मलिहाबाद में इन दिनों आम के बागों की जुताई की जा रही है। यहां गेहूं की फसल के दौरान ही बागों को जोता जाता है। आम की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है, लेकिन पेड़ में फूल आने के समय तक विशेष निगरानी और जरूरी व्यवस्थाएं दी जानी चाहिए। बागों की मिट्टी यदि कंकरीली, पथरीली, ऊसर व जलजमाव से जूझ रही है तो किसानों को नुकसान होना तय है। ऐसे में यदि बागों में कहीं से पानी आ गया है, तो उसे निकाल दिया जाता है। सर्दी के दौरान नमी रहने पर बाग की कड़ी मिट्टी नरम रहती है और हल जमीन में काफी गहराई तक पहुंचते हैं।
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इन दिनों जुताई होने से पथरीली मिट्टी नरम पड़ जाती है, इससे पेड़ के तनों तक कल्ले खिल जाते हैं। कुछ किसानों ने इस बार भूमि की अच्छी तरह से जुताई कर समतल बना लिया और बाग से घास-पात, झाड़ियों इत्यादि को जड़ समेत निकाल कर फेंक दिया है। अनौरा के किसानों के पास गोबर के खाद की कमी नहीं है। यहां किसानों ने पेड़ के करीब गोबर खाद, सुपरफास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश मिलाकर डाला है। माना जाता है कि खाद व उर्वरक प्रति पौध प्रतिवर्ष के हिसाब से वर्षा ऋतु के शुरुआत एवं मानसून के बाद कर देना चाहिए। किसान राजेश यादव का कहना है कि फल बनने से लेकर परिपक्वता तक जरूरत के अनुपात से सिंचाई करने पर फल बड़े होते हैं और हवाओं में यह गिरते भी कम हैं। राजेश हर साल करीब दो बार अपनी बाग जरूर जोतते हैं।
- शरद त्रिपाठी
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