Thursday, January 23, 2025
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जेल में कैदियों को हुनरमंद बनाएगी योगी सरकार, कौशल विकास योजना के तहत दिया जाएगा प्रशिक्षण

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प्रयागराजः उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों में तालीम के बाद अब हुनरमंद बनाने की पहल भी योगी सरकार ने की है। प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल के बंदियों और बाल सुधार केंद्र के बच्चों को काबिल बनाने के लिए सरकार की तरफ से प्रशिक्षण दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के तहत पहले चरण में 104 बंदियों को इसके लिए चयनित किया गया है। सरकार का प्रयास है कि बंदी जेल में ऐसे रचनात्मक कार्यों का हिस्सा बनें, जिसका फायदा उन्हें उनके भविष्य को बेहतर बनाने और सम्मानजनक जीवन जीने के काम आ सके।

प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल में निरुद्ध बन्दियों को प्रदेश सरकार शिक्षित करने के साथ अब काबिल बनाने का मौका भी दे रही है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के अंतर्गत इस जेल में निरूद्ध 50 बंदियों को कौशल विकास के स्किल कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के प्रयागराज के जिला प्रबन्धक अंकित कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि इन सभी लाभार्थियों का चयन किया जा चुका है और दिसंबर के दूसरे सप्ताह से इन्हे शुरू भी कर दिया जाएगा। चयनित बंदियों में 25 महिला बंदी और 25 पुरुष बंदी शामिल है। इन्हें लॉजिस्टिक और अपैरल में ट्रेनिंग दी जाएगी। ये दोनों कोर्स 400 घंटे के होंगे। कोर्स पूरा होने के बाद इन बंदियों को कौशल विकास मंत्रालय की तरफ से प्रमाण पत्र भी दिए जायेंगे।

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बाल-सुधार गृह के बाल अपचारियों को भी मिलेगा प्रशिक्षण
सरकार बाल सुधार गृह में रह रहे बाल अपचारियों को भी हुनरमंद बनाने जा रही है। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के प्रयागराज के जिला प्रबन्धक अंकित कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक शहर के खुल्दाबाद के बाल-सुधार गृह में रह रहे 54 बाल अपचारियों को भी स्किल की ट्रेनिंग दी जायेगी। बाल सुधार गृह में उत्तर प्रदेश कौशल विकास योजना के अंतर्गत हस्तशिल्प और कारपेट के कोर्स चलाये जायेंगे। इन्हें कंप्यूटर की अतिरिक्त ट्रेनिंग भी दी जायेगी। ये दोनों कोर्स 400 घंटे के होंगे। सरकार का प्रयास है कि बंदी जेल या बाल सुधार गृह में रचनात्मक कार्यों का हिस्सा बनें और इसका फायदा उन्हें उनके भविष्य को बेहतर बनाने और सम्मानजनक जीवन जीने के काम आ सके। जेल से रिहाई के बाद इन बंदियों को रोजगार मिलना मुश्किल होता है। ऐसे में जेल से स्किल, स्वरोजगार की ट्रेनिंग और प्रमाणपत्र हासिल कर ये बंदी अपने और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए किसी पर आश्रित नहीं रहेंगे बल्कि खुद अपना रोजगार भी शुरू कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त रिहाई के बाद अपने हुनर के माध्यम से ये बंदी समाज की मुख्य धारा में भी शामिल हो सकेंगे। उत्तर प्रदेश में पहले फेज में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 1100 बंदियों और 1458 बाल अपचारियों व महिलाओं को इन व्यवसायिक कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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