नई दिल्लीः भारतीय रेलवे में आउटसोर्सिंग के चलते किए सहायक कुक, बिल पोस्टर, टाइपिस्ट, माली, दफ्तरी, बढ़ई, खलासी व पेंटर जैसे पदों को अब समाप्त कर दिया जायेगा। भारतीय रेलवे की ओर से की गई एक आंतरिक समीक्षा के बाद इन पदों को समाप्त करने का फैसला लिया गया है। आने वाले समय में अब कभी भी रेलवे में इन पदों पर कोई भर्ती नहीं की जाएगी। इन विभागों में रेलवे आउटसोर्सिंग के माध्यम से ही कार्यों को निपटाएगा। यह स्थिति तब है, जब रेलवे के विभिन्न श्रेणियों में कुल 60 हजार कर्मचारियों के पदों में से 14,329 पद खाली पड़े हैं।
रेलवे के अनुसार तकनीकी वृद्धि के कारण इन पदों पर तैनात कर्मचारियों के लिए पर्याप्त कार्य नहीं बचे हैं। रेलवे के बढ़ते खर्चे को ध्यान में रख कर ये फैसला लिया है। हालांकि, जिन कार्यस्थलों पर कर्मचारियों की आवश्यकता है, वहां आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य करवाए जाएंगे।
गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने सभी जोनल महाप्रबंधकों को इस संबंध में एक पत्र लिखकर मानव संसाधन के ऊपर हो रहे खर्चे को कम करने पर ध्यान देने को कहा है। उनका कहना है कि रेलवे की ओर से किए जाने वाले कुल खर्च का 67 प्रतिशत केवल मानव संसाधन के ऊपर किया जाता है। इसी कारण से रेलवे ने कम कार्य वाले पदों को निरस्त करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही उन्हें कार्यस्थलों के पद और कार्य की रिपोर्ट व आउटसोर्स के लिए प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेजने को भी कहा है, जिससे खर्चे को कम करने के उपायों को सुनिश्चित किया जा सके।
रेलवे बोर्ड ने इन पदों पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को किसी अन्य विभाग के कार्यस्थलों पर समायोजित करने का फैसला लिया है। रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार खाली हो रहे इन पदों पर आवश्यक कार्य आउटसोर्स के माध्यम से कराए जाएं।
इसी सिलसिले में फिलहाल पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की तरफ से कई पदों को सरेंडर करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई है। लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल में सहायक लोको पायलटों के 434 पद, स्वास्थ्य विभाग में सफाईकर्मियों के 120 पद, रेलवे स्कूलों के टीजीटी व पीजीटी के 100 पद तथा यांत्रिक कारखाना में 50 पद समेत 1300 पदों को सरेंडर करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। साथ ही इसकी रिपोर्ट भी रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है।
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