Wednesday, November 13, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeजम्मू कश्मीर#PulwamaAttack: 14 फरवरी वो तारीख जब आतंकी हमले से छलनी हुआ देश...

#PulwamaAttack: 14 फरवरी वो तारीख जब आतंकी हमले से छलनी हुआ देश का सीना, मंजर देख रो पड़ी थी दुनिया

पुलवामा

नई दिल्लीः हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। 14 फरवरी का दिन भी इसका अपवाद नहीं है। इतिहास में 14 फरवरी के नाम पर भी बहुत सारी घटनाएं दर्ज हैं। 14 फरवरी 2019 का वो काला दिन कौन भूल सकता है, जब आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना था। दूर तक फैले जांबाजों के शव और खून से लथपथ सड़क… ये भय वाह मंजर देख पुरी दुनिया रो पड़ी थी। इस आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। हमला जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर किया गया था। इस काफिले में करीब 2500 जवान शामिल थे। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस दुखद घटना के भले ही चार बरस बीते, लेकिन उस घटना के जख्म आज तक हरे हैं।

ये भी पढ़ें..IPL Auction: अवेश और त्रिपाठी को मिली मोटी रकम, 40 लाख के बेस प्राइज वाले तेवतिया 9 करोड़ में बिके

44 जवान हुए थे शहीद

दरअसल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 40 जवान शहीद हो गये और कई गंभीर रूप से घायल हुए। अगले दिन तक यह संख्या 44 हो गयी। उस आतंकी हमले में 40 से अधिक जवान घायल भी हुए थे। इस हमले को लेकर देशभर में गुस्सा, दुख और क्षोभ का वातावरण देखा गया।

सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर किया गया धमाका इतना तेज था कि सुरक्षाबलों की गाड़ी के परखच्चे उड़ गए थे। कई जवान मौके पर शहीद हो गए थे। धमाके के बाद धुएं का गुबार छंटा तो दूर तक सड़क खून से लथपथ नजर आ रही थी। जगह-जगह मलबा फैला था। इन्हीं के बीच जाबांजों के शव पड़े थे। यही नहीं धमाके के बाद आतंकियों ने काफिले पर फायरिंग शुरू कर दी। जब सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला तो आतंकी मौके से भाग निकले। हमला थमने के कुछ ही देर बाद बचाव कार्य शुरू किया गया। हमला श्रीनगर-जम्मू हाईवे के अवंतीपोरा में गोरीपोरा इलाके में किया गया था। सीआरपीएफ का 2500 जवानों का काफिला जम्मू से श्रीनगर की तरफ जा रहा था तभी आतंकियों ने हमला किया था। ये मंजर देख पुरी दुनिया रो पड़ी थी।

14 फरवरी को मनाया जाता है वैलेंटाइंस डे

14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के रूप में भी मनाया जाता है। इसके विपरीत बहुत कम लोग जानते हैं कि यह दिन हमारे देश की आजादी के लिए मातृभूमि के चरणों में बलिदान होने वालों का भी है। ऐसे क्रांतिकारी, जिनके लिए गांधीवादियों ने भी ऊपर तक फरियाद की थी। फिलहाल, वैलेंटाइंस डे के लौकिक रूप और उसके विरोध की कहानी, जिसे सभी जानते हैं। फिर भी, लोग यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि प्रेमियों को कोई दिन चुनने की जरूरत क्यों पड़ी। तीसरी शताब्दी में रोम के एक शासक ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए। वैलेंटाइन नाम के पादरी ने विरोध किया तो उन्हें जेल में डाल दिया गया। फिर 14 फरवरी, 270 को उन्हें फांसी दे दी गयी। इस तरह यह दिन प्रेम के लिए न्योछावर होने वाले संत वैलेंटाइन के नाम हो गया।

भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को सुनाई गई थी फांसी की सजा

प्रेम की पराकाष्ठा मातृभूमि के लिए शहीद होने में दिखती रही है। ऐसा ही देशप्रेम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और बटुकेश्वर दत्त जैसे असंख्य सेनानियों ने किया था। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी थी। उसी समय 14 फरवरी, 1931 को पंडित मदन मोहन मालवीय ने लार्ड इरविन को पत्र लिखा। उन्होंने इंसानियत का वास्ता देकर वायसराय से इन देशभक्तों की सजा माफ किए जाने की अपील की थी।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें