मैसूर: कर्नाटक के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने शनिवार को यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया कि शरिया कानूनों की वकालत करने वालों को विभाजन के दौरान बने एक अलग राष्ट्र (पाकिस्तान) में चले जाना चाहिए। वह एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य में हिजाब विवाद का जिक्र कर रहे थे।
उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर आप हिजाब, बुर्का, पारंपरिक मुस्लिम पैंट पहनना चाहते हैं, तो उन्हें पहनें और मदरसों में जाएं। यदि आप (मुसलमान) अपनी मर्जी के अनुसार सब कुछ चाहते हैं, तो आपको 1947 में अलग हुए दूसरे देश में जाना चाहिए था। चूंकि आपने यहीं रहना चुना है, तो फिर आपको देश की संस्कृति का सम्मान करना होगा।” उन्होंने कहा, “सरस्वती, गणेश की पूजा और चूड़ियां और सिंदूर धारण करने पर सवाल उठाने वालों के लिए कहना चाहूंगा कि यह ब्रिटिश भारत नहीं है। यह भारत है। इस भूमि की मूल नींव हिंदू धर्म है। हम मक्का, मदीना या यरुशलम में सिंदूर और चूड़ियां पहनने की इजाजत नहीं मांग रहे हैं।”
भाजपा सांसद ने दावा करते हुए कहा, “इस्लाम और ईसाई धर्म जो रेगिस्तान में पैदा हुए थे, वे यहां शरण लेने आए थे। एक बार जब आप शरण लेते हैं, तो आपको भूमि की संस्कृति का सम्मान करना पड़ता है। इस्लाम और ईसाई धर्म विदेशी धर्म हैं। आपको हमसे (हिंदुओं) सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। इस्लाम संस्कृति को थोपने के 700 वर्षों के बावजूद हम अपनी संस्कृति को संरक्षित करने में कामयाब रहे हैं। आपने (मुसलमानों ने) ईरान, इराक को निगल लिया और रोमन सभ्यता को खत्म कर दिया, लेकिन आप हमारी सभ्यता को खत्म नहीं कर सके।”
अपने रुख को दोहराते हुए प्रताप सिम्हा ने कहा कि मुसलमानों को सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि संविधान ने सभी को समान अधिकार दिया है लेकिन किसी को भी अपनी मूल संस्कृति को बदलने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू धर्म कोई धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। हिंदू प्रथाओं पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा, अगर आप हिजाब पहनना चाहते हैं, तो इसे पहनें और कॉलेजों के बजाय मदरसों में जाएं।
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उडुपी जिले के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्रों द्वारा हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग लेने पर जोर देने के बाद राज्य में हिजाब विवाद सामने आया है। दरअसल मुस्लिक छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज जाना चाहती थीं, जिन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया। इसके बाद छात्राओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस बीच, विवाद पूरे राज्य में और अधिक कॉलेजों में फैल गया है, जिससे इस मामले ने अब सांप्रदायिक मोड़ ले लिया है, क्योंकि हिंदू छात्रों ने भगवा शॉल के साथ कक्षाओं में भाग लेना शुरू कर दिया है।
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