Sunday, November 17, 2024
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स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने जारी किए आंकड़े, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कही ये बात

नई दिल्ली: लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार ने शुरुआत से ही कमजोर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से ठीक करने पर काम किया है। उन्होंने बताया कि भारत में भी 3.46 करोड़ कोरोना के मामले आए हैं और इससे अबतक 4.69 लाख लोगों की मौत हुई है। दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए जबकि इससे 52 लाख से ज्यादा लोगों की जानें गई हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना महामारी की दोनों लहर के दौरान उठाए गए कदमों की जानकारी दी। मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि दो साल पहले तक देश में 16 हजार वेंटीलेटर थे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में इनकी मांग बढ़ी और एक्सपर्ट कमेटी ने विश्लेषण करके बताया कि 75,000 वेंटीलेटर की आवश्यकता थी। भारत सरकार ने 58,000 वेंटीलेटर का ऑर्डर दिया, उसमें से भी 97 प्रतिशत का ऑर्डर भारत सरकार की बड़ी कंपनी को दिया गया, भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड तथा आंध्रा इलेक्ट्रॉनिक जोन, दोनों भारत सरकार की कंपनियां है। उसमें से 50 हजार 200 वेंटीलेटर राज्यों को दे दिए गए, जिनमें से 48,000 वेंटीलेटर इंस्टाल किए गए और कंपनी को ही इन्हें इंस्टाल करने तथा अस्पतालों को ट्रेनिंग देने के की जिम्मेदारी दी गई। सारे देश में सभी राज्यों के पास आजतक 42,000 प्रमाणपत्र मिल चुके हैं, जो बताता है कि वेंटीलेटर इंस्टाल हो चुके हैं और अच्छी तरह चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश में कोरोना का पहला मामला 13 जनवरी, 2020 को आया था जबकि कोरोना को लेकर भारत सरकार की पहली बैठक 8 जनवरी को हो चुकी थी, यानी सरकार पहले से ही काम कर रही थी। मई 2020 में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में वैक्सीन के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया। पहले जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए 30 दिन लगता था और आज हमने 30 घंटे में यह काम करने की उपलब्धि हासिल कर ली है। इससे पता चलता है कि वायरस का कौन का स्वरूप किस क्षेत्र में असर डाल रहा है।

मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि कोरोना के शुरुआती दौर में राज्यों को पीपीई किट, जरूरी दवा और वेंटीलेटर जैसी चीजों की जरूरत थी। राज्यों ने केंद्र से मांग की और सरकार ने करीब 4.5 करोड़ एन-95 मास्क, 179 करोड़ से ज्यादा पीपीई किट राज्यों को उपलब्ध कराए।

यह पहली बार है जब सरकार ने खुद आगे बढ़ते हुए वैज्ञानिक संस्थाओं को वैक्सीन रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए फंड दिया। इस वजह से देश में वैक्सीन डेवलप हो पाई है। प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा किया। सारी दुनिया गवाह है कि दुनिया में पहले वैक्सीन रिसर्च होने के बाद 10-15 साल बाद भारत को वैक्सीन मिलती थी। मोदी ने देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा किया और पूरी दुनिया के साथ भारत को भी वैक्सीन प्राप्त हुई।

मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश में 3,829 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम चल रहा है। प्लांट सारे देश में सभी राज्यों में फंक्शनल हो रहे हैं। 70 प्रतिशत से अधिक प्लांट लग चुके हैं। देश में 168 आरटीपीसीआर और 52 रेपिड एंटीजन किट टेस्टिंग के लिए अप्रूव किए गए हैं। इनमें आधे से ज्यादा पर रिसर्च भारत में ही हुई है।

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देश में 4500 से ज्यादा कोरोना डेडिकेटिड अस्पताल बने, 9300 से ज्यादा कोविड हेल्थ केयर सेंटर बनाए गए। इस दौरान 9800 से ज्यादा कोरोना सेंटर का निर्माण किया गया। फिलहाल पांच लाख ऑक्सीजन बेड और 18 लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड तथा करीब 1.40 लाख आईसीयू बेड देश में उपलब्ध हो चुके हैं।

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