नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान मजीद से 26 आयतों को निकाले जाने के लिए दाखिल याचिका का विरोध करने का फैसला लिया है। यह याचिका उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दायर की है। नाराजगी का इजहार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा इस मुकदमे की पैरवी करने का फैसला लिया है।
बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बताया है कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में दायर इस मुकदमे के तमाम पहलुओं की समीक्षा कर रहा है। बोर्ड ने याचिका के अध्यन के लिए वरिष्ठ वकीलों के एक पैनल का गठन किया है जो इस मामले का अध्ययन करने के बाद ज़वाब तैयार करेगा। वली रहमानी ने कहा है कि दुनियाभर के मुसलमानों का एकमत से मानना है कि कुरान मजीद आसमानी किताब है और इसमें किसी तरह की कोई तब्दीली नहीं की जा सकती है। कुरान मजीद रहती दुनिया तक अपनी असल सूरत में मौजूद रहेगा जिसका अल्लाह ने खुद वादा किया है।
मौलाना वली रहमानी ने बताया है कि वसीम रिजवी हमेशा से ही इस्लाम, मुसलमान, खलीफाओं और पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के साथियों के खिलाफ गलत बयानबाजी करते रहे हैं। रिजवी सस्ती लोकप्रियता पाने और अपने निजी स्वार्थ के लिए इस तरह के हथकंडे इस्तेमाल करते रहे हैं। मौलाना वली रहमानी ने मुसलमानों के सभी वर्गों बरेलवी, वहाबी, शिया, बोहरा आदि के धार्मिक नेताओं से अपील की है कि वह इस मामले में शांति बनाए रखें और किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त ना करें।
उनका कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की टीम इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी एकत्र कर रही है और अदालत से तमाम कागजात मिलने के बाद लीगल टीम सभी पहलुओं पर गौर करके सुप्रीम कोर्ट में इसका जवाब दाखिल करेगी। मौलाना का कहना है कि इस मामले को सड़क पर लाने से कोई हल नहीं होगा। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो इसकी लड़ाई पूरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में ही लड़ी जाएगी।