Saturday, December 28, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeअन्यजरा हटकेदेशभक्ति की मिसाल है यह गांव, 30 वर्षों से रोज होती है...

देशभक्ति की मिसाल है यह गांव, 30 वर्षों से रोज होती है महापुरूषों की पूजा

बेगूसरायः हर ओर गणतंत्र दिवस की धूम मची हुई है। गणतंत्र दिवस के मौके पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं बुद्धिजीवी लोग तिरंगा फहराने के बाद शहीदों को याद करेंगे। भारत माता को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए जान की आहुति देने वाले देने वाले शहीदों प्रतिमा पर फूल माला चढ़ा कर कुछ देर भाषण देकर फिर भूल जाएंगे।

बिहार के बेगूसराय जिला में एक गांव ऐसा भी है जहां के प्रत्येक दिन ग्रामीण, सुबह- शाम भगवान के साथ-साथ मां भारती के वीर सपूतों की भी पूजा अर्चना करते हैं। इस गांव के लोग 30 वर्ष से हर दिन सुबह-शाम आजादी के दीवाने महापुरुषों की प्रतिमाओं की न सिर्फ पूजा-अर्चना कर रहे हैं, बल्कि उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प भी लेते हैं। सुबह से शाम तक पूजा में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देशभक्ति तराने भी गूंजते हैं। गांव के बच्चे हों या फिर 80 वर्ष के वृद्ध सभी में देशभक्ति का एक अजब जूनून देखने को मिलता है। गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां हिन्दू और मुस्लिम समाज के लोग मिलकर तिरंगा फहराने के बाद मां भारती के वीर सपूतों और स्वतंत्रता सेनानी के मार्ग पर चलने का संकल्प भी लेते हैं। जिससे सामाजिक समरसता कायम रहने के साथ आने वाली पीढ़ी को देशभक्ति का संदेश भी मिलता है। जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित परना गांव में सार्वजनिक जगह पर बनाये गये मंदिर में भगवान भोले शंकर, माता दुर्गा एवं बजरंग बली के साथ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद की पूजा अर्चना की जाती है।

पूजा का यह सिलसिला 1991 से लगातार चल रहा है, जोकि एक मिसाल है देश भक्ति का। देश की आजादी में कुर्बानी देने वाले महापुरुषों की सालों भर पूजा-अर्चना कर परना के लोग मिसाल कायम कर रहे हैं। स्थानीय निवासी संजीव कुमार बताते हैं कि पोखर के मुहार पर पहले मात्र एक शिवालय था। 1987 में यहां मां दुर्गा का मंदिर बनवाकर दुर्गा पूजा शुरू की गई। इसके बाद 1990 में भगवान की पूजा के साथ महापुरुषों की भी पूजा का फैसला ग्रामीणों ने लिया था।

तत्कालीन मुखिया शिवराम महतों के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा कर 1991 में पोखर के मुहाने पर ही भव्य शहीद स्मारक स्थल का निर्माण कराया तथा करीब ढ़ाई लाख रुपये से अधिक की लागत से महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, बाबू वीर कुंवर सिंह, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, वीर भगत सिंह, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, लाल बहादुर शास्त्री, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, चंद्रशेखर सिंह एवं रामचंद्र सिंह जैसे महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू कर दिया गया। मुहल्ले का नामकरण किया गया राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की याद में दिनकर नगर। जिसके बाद से आज तक यहां के लोगों ने भगवान के साथ मां भारती के दिवानों की पूजा लगातार जारी रखी है। शहीद स्मारक के प्रवेश द्वार पर अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है, ताकि हम अपने वैभव को याद रख सकें। परिसर में बापू पुस्तकालय है, जहां कि रोज लोग अध्ययन-अध्यापन का कार्य करते हैं। कोरोना काल से पहले यहां युवाओं द्वारा मुफ्त कोचिंग भी चलाई जाती थी। फिलहाल यह शहीद स्मारक न केवल वैभव और देश के वीर सपूतों की याद दिला रहा है, बल्कि देशवासी के मन में शहीदों के प्रति उमड़े जज्बे को भी जागृत कर रहा है।

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें