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16 श्रृंगार के बिना अधूरा माना जाता है करवा चौथ व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व

 

लखनऊ:  हिंदू धर्म में अधिकतर परिवारों में सुहागिनें करवा चौथ का व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र बढ़ती है। इस साल 4 नंबवर को करवा चौथ मनाया जाएगा। महिलाएं घरों में साफ-सफाई के साथ पूजन सामग्री,फल,नये वस्त्र रंग बिरंगी चटक सुर्ख रंग की डिजाइनदार साड़ियां व सलवार सूट, पूजा की थाली, चलनी आदि के इंतजाम के साथ सजने-सवरने की तैयारियां कर रही हैं। माना जाता है करवा चौथ पर महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। आइए जानते हैं 16 श्रृंगार का क्या है महत्व..

हिंदू धर्म की मान्याओं के अनुसार, इस दिन पूरे 16 श्रृंगार करने से घर में सुख और सुख-समृद्ध‍ि आ‍ती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है। आइए व्रत से पहले जानते हैं कि 16 श्रृंगार में कौन-कौन से श्रृंगार आते हैं और इनका महत्व..

1. बिंदी: संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है. भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

2. सिंदूर: उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।

3. काजल: काजल आंखों का श्रृंगार है. इससे आंखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।

4. मेहंदी: मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती हैं। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।

5. लाल जोड़ा: उत्तर भारत में आमतौर से शादी के वक्त दुल्हन को शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है। इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं। करवा चौथ पर भी सुहागिनों को लाल जोड़ा या शादी का जोड़ा पहनने का रिवाज है।

6. गजरा: दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है।करवा चौथ पर किए जाने वाले 16 श्रृंगार में से एक गजरा भी है।

7. मांग टीका: सिंदूर के साथ पहना जाने वाला मांग टीका जहां एक ओर सुंदरता बढ़ाता है, वहीं वह सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके।

8. नथ: ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए करवा चौथ के अवसर पर नथ पहनना न भूलें।

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9. कर्णफूल या कान की बालियां: सोलह श्रृंगार में एक आभूषण कान का भी है। करवा चौथ पर अपना कान सूना ना रखें। उसमें सोने की बालियां जरूर पहनें।

10. हार या मंगलसूत्र: दसवां श्रृंगार है मंगलसूत्र या हार. सुहागिनों के लिए मंगलसूत्र और हार को वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है। सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।

11. आलता: नई दुल्हनों के पैरों में आलता देखा होगा आपने. इसका खास महत्व है. 16 श्रृंगार में एक ये श्रृंगार भी जरूरी है करवा चौथ के दिन।

12. चूड़ियां: सुहागिनों के लिए सिंदूर की तरह ही चूड़ियों का भी महत्व है।

13. अंगूठी: अंगूठी को 16 श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा माना गया है।

14. कमरबंद: कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।

15. पायल: माना जाता है कि सुहागिनों का पैर खाली नहीं होना चाहिए. उन्हें पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए।

16. बिछिया: पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है और दूसरी उंगलियों में पहने जाने वाले रिंग को बिछिया।