Chhattisgarh, रायपुर: अस्पृश्यता निवारण के लिए संचालित अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना में 13 अपात्र लोगों ने फर्जी विवाह दस्तावेज प्रस्तुत कर 32 लाख 50 हजार रुपए की राशि का फर्जीवाड़ा कर लिया है। जांच के बाद अपर कलेक्टर अरविंद पांडे ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। आरोपियों ने आर्य समाज मंदिर में फर्जी विवाह दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना का लाभ लिया है।
बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट भी छिपाए
संयुक्त जिला कार्यालय गरियाबंद से प्राप्त विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में आयोजित अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की जांच में पाया गया है कि 13 हितग्राहियों ने प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए आर्य समाज मंदिर में दोबारा विवाह कर राशि का आहरण किया है। जबकि इनमें से अधिकांश लोग पहले से ही विवाहित थे और कुछ ने दो पत्नियां रखी हैं। जिसमें हितग्राहियों ने अपनी पहली पत्नी से विवाह कर अपने बच्चों और उनकी जन्मतिथि को छिपाकर निःसंतान प्रमाण पत्र बनवाकर योजना का लाभ लिया है। वहीं कुछ हितग्राहियों के बच्चे विवाह के पूर्व आर्य समाज में थे और अब बड़े हो गए हैं, ऐसे हितग्राहियों ने भी आर्य समाज में विवाह के दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना का लाभ लिया है।
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सभी के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर
जो विभागीय नियमों के तहत गलत है। इसके साथ ही रायपुर, दुर्ग और धमतरी के तीन ऐसे हितग्राही हैं, जिन्हें गरियाबंद जिले से यह प्रोत्साहन राशि मिली है। जबकि विभागीय नियमों के अनुसार जिले के वास्तविक हितग्राही को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति ने 2 लाख 50 हजार रुपए कुल 32 लाख 50 हजार रुपए का घोटाला किया है। इस मामले की शिकायत के बाद अपर कलेक्टर ने सहायक आयुक्त गरियाबंद को पूरे मामले की जांच कर सभी अपात्र व्यक्तियों के खिलाफ 31 अक्टूबर 2024 तक एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया है।
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