लाइफस्टाइल

एक बदले ने बिगाड़ा था रेशमा का चेहरा लेकिन नहीं तोड़ पाया उसका हौंसला

एसिड अटैक जैसे अपराध में भले ही आरोपी को सजा मिलती है लेकिन पीड़ित उम्र भर उस दर्द से उभर नहीं पाता। तेजाब से मिले जख्म तो शायद एक वक्त बीतने पर भर जाएं लेकिन अंदर तक झकझौर देने वाला दर्द उम्र भर झेलना पड़ता है। इस अटैक की शिकार ज्यादातर लड़कियां ही होती है जो सिर्फ उनकी सूरत ही नहीं बल्कि आगे की सारी जिंदगी भी बर्बाद कर देता है। एसिड सर्वाइवर, लक्ष्मी अग्रवाल की तरह और भी बहुत सारी लड़कियां हैं जो इस अटैक की शिकार हुई हैं उन्हीं में से एक हैंं प्रयागराज (इलाहाबाद) की रहने वाली रेशमा कुरैशी, जिन्होंने इस असहनीय पीड़ा को झेला लेकिन वह हारी नहीं बल्कि हौंसले से अपनी जिंदगी को नया मोड़ दिया।

किसी अजनबी नहीं जीजा ने ही फेंका था तेजाब

बता दें कि 19 मई, 2014 को इलाहाबाद में रेशमा के चेहरे पर तेजाब उनके जीजा ने ही फेंका था। रेशमा के अनुसार, उनका जीजा उनकी बहन गुलशन को मारता-पीटता था। फिर एक दिन वह अपनी बहन और उनके दोनों बच्चों को घर ले आईं, जिसके बाद उन्होंने बेटे का एडमिशन स्कूल में करवा दिया लेकिन जीजा ने बेटे को स्कूल से उठा लिया। इसके बाद केस कोर्ट में चला गया, जिसका फैसला रेशमा की बहन के हक में आया।

रेशमा ने बताया, '19 मई, 2014 को जब वो अपनी बहन के साथ एग्जाम देने जा रही थी उसी समय जीजा और उसके दोस्त अचानक सामने आ गए। उन्होंने बहन पर तेजाब फेंका। तेजाब के छींटे बहन की बाजू पर गिरे। बहन ने मुझसे भागने को कहा। मैं भागने लगी लेकिन जीजा ने मेरा बुर्का हटाया और बाल पकड़कर मेरे चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। पल भर में ही मेरा चेहरा जलने लगा और मैं चिल्लाने लगी। स्टेशन के पास बहुत से लोग थे लेकिन सब तमाशा देखते रहे।'

चेहरे के साथ गंवानी पड़ी आंख

21 साल की रेशमा कुरैशी का अतीत जितना दर्दनाक है, उनका वर्तमान, महिलाओं के लिए उतना ही प्रेरणादायी है। एसिड अटैक का शिकार बनी इस युवती का सिर्फ चेहरा ही खराब नहीं हुआ बल्कि इसके कारण उन्हें अपनी एक आंख भी गवांनी पड़ी। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और आज वह हर उस महिला के लिए मिसाल बन गई है, जो अपनी छोटी-छोटी परेशानियों के आगे झुक जाती हैं।

घटना के बाद छोड़ दी थी जीने की आस

घटना के बाद एक अजनबी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन इससे उनका चेहरा और एक आंख खराब हो चुकी थी। उपचार के बाद वह घर पहुंची तो आईने में अपनी सूरत देख अवाक रह गई। उन्होंने परिवार वालों से कहा कि मुझे पहले जैसा बना दो वरना मैं कुछ कर बैठूंगी लेकिन परिवार वाले बेबस थे। इस घटना के बाद तो उन्होंने जीने की आस भी छोड़ दी थी।

रिया शर्मा ने दी जीने की नई राह

अंधेरे में कैद हो चुकी रेश्मा की जिंदगी में रिया शर्मा रोशनी बनकर आईं। वह 'Make Love Not Scars' संस्था चलाती हैं। रिया मैम ने ही मुझे बताया कि दुनिया में असंख्य महिलाओं पर Acid Attack हुए हैं। इसका मतलब यह तो नहीं कि वो जीने की आस ही छोड़ दें। तुम जिंदादिली से जिओ, जिंदगी खूबसूरत दिखने लगेगी। उनके इन शब्दों ने मेरे दिमाग में नई ऊर्जा भर दी।'

रैंप पर कैटवॉक कर जीता लोगों का दिल

तेजाब से चेहरा खराब होने के बाद भी रेशमा ने फैशन की दुनिया में कदम रखा और रैंपवॉक करने की हिम्मत दिखाई। उन्होंने न्यूयॉर्क फैशन वीक में रैंप पर कैटवॉक कर यह संदेश दिया कि रंग रूप ही असली खूबसूरती नहीं होती। 

एसिड पीड़िताओं की आवाज बनी

उनका कहना है कि जिंदगी बेशकीमती है और दुनिया को एसिड पीडि़ताओं को कमजोर नहीं समझना चाहिए। उन्होंने यू-ट्यूब पर 'Make Love Not Scars' शीर्षक से वीडियो जारी किया है, जिसका मकसद एसिड़ अटैक का शिकार हुई महिलाओं के मन में नई रोशनी जगाना है। वहीं 'ब्यूटी टिप्स बाई रेशमा' नाम से भी एक अन्य वीडियो जारी किया है, जिसका मकसद बाजार में आसानी से मिलने वाले तेजाब की बिक्री के खिलाफ था।

लेखिका तान्या रेशमा ने रेश्मा पर हुए Acid Attack व उसके बाद उत्पन्न हुई परिस्थितियों को एक किताब का रूप दिया है। पुस्तक में रेशमा की हिम्मत व हौसले की कहानी बताई गई है।