अजमेरः ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 810 वें सालाना उर्स का चांद बुधवार को दिखाई देने के साथ ही दरगाह शरीफ में धार्मिक रस्मों के निर्वहन का काम शुरू हो गया। दरगाह में ख्वाजा साहब की मजार पर उर्स का पहला गुसल रस्म अदा की गई वहीं पहली महफिल का आयोजन हुआ। यह दोनों ही आयोजन उर्स में रात्रि के समय ही किए जाते है। अजमेर का जिला और पुलिस प्रशासन चाहता है कि ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान भी राज्य सरकार की कोरोना गाइडलाइन की पालन हो। सरकार ने प्रदेश में रात 8 बजे सभी धार्मिक स्थल बंद करने की गाइडलाइन जारी कर रखी है। इस दृष्टि से जहां उर्स में देशभर से अजमेर पहुंचा जायरीन हलकान है तो दरगाह क्षेत्र के व्यापारी क्षेत्रीय दरगाह थानाधिकारी दलबीर सिंह की सख्ती से परेशान। व्यापारियों ने बुधवार और गुरुवार को व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखकर जिला प्रशासन को संकेत दिए हैं कि दरगाह थानाधिकारी का रवैया उर्स के दौरान उनके रोजीरोटी के लिए अनुकूल नहीं है, लिहाजा उन्हें क्षेत्र से रुखसत किया जाए।
उल्लेखनीय है कि चांद दिखने पर अजमेर में ख्वाजा साहब का छह दिवसीय सालाना उर्स 2 फरवरी से ही शुरू हो गया है। उर्स की अधिकांश धार्मिक रस्में रात को ही होती हैं इन रस्मों में हजारों जायरीन भाग लेते हैं। उर्स अवधि में जन्नती दरवाजा भी खुलता है। दो फरवरी को जब जिला और पुलिस प्रशासन रात आठ बजे बाद दरगाह में कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने लगा तो हालात बेकाबू हो गए। जिला कलेक्टर अंशदीप और पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा के लिए इंतजामों की दृष्टि से यह पहला उर्स है, इन दोनों को यह नहीं पता है कि उर्स में रात के समय जायरीन का सैलाब को दरगाह में प्रवेश करता है। ऐसा नहीं हो सकता कि दरगाह के अंदर उर्स की रस्में हो रही हों और दरगाह के बाहर जायरीन को रोक दिया जाए। छह दिवसीय उर्स में रात के समय दरगाह में धार्मिक कव्वालियों से लेकर पवित्र मजार पर गुसल तक होती है। दरगाह में जायरीन की जियारत का सिलसिला भी जारी रहता है। दो फरवरी को जो हालात उत्पन्न हुए उसे देखते हुए खादिमों के एक शिष्टमंडल ने 3 फरवरी को जयपुर में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री साले मोहम्मद से मुलाकात की।
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मंत्री साले मोहम्मद से आग्रह किया गया कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संवाद कर उर्स के दौरान अजमेर में कोरोना गाइडलाइन में छूट दिलवाएं। खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उर्स के दौरान जायरीन को दरगाह में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है। जब जायरीन को ट्रेन, रोडवेज की बस और अपने वाहनों से आने की छूट है तो फिर उर्स के दौरान दरगाह में प्रवेश से रोकना बेमानी है। अंगारा शाह ने कहा कि 4 फरवरी को जुम्मे की नमाज के लिए हजारों जायरीन 3 फरवरी की रात को ही दरगाह में आ जाएंगे। ऐसे में गाइडलाइन का हवाला देकर जायरीन को दरगाह से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए ऐसा करना ठीक नहीं है। इससे बेहतर होता कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जायरीन को अजमेर ही नहीं आने देती। उर्स के इंतजामों को लेकर खादिम समुदाय ने हमेशा से ही प्रशासन और सरकार को सहयोग किया है, लेकिन अब हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं। यदि गाइड लाइन में छूट नहीं दी जाती है तो हालातों की जिम्मेदारी सरकार की होगी। अंगारा शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत तो उर्स के दौरान जियारत के लिए दरगाह में आते रहते हैं। उन्हें उर्स में जायरीन की भीड़ का अंदाजा है। धार्मिक दृष्टि से उर्स का समापन 8 फरवरी को कुल की रस्म के साथ होगा। उर्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, तक अपनी ओर से चादर भेजते हैं, जिन्हें सूफी परंपरा के अनुरूप ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किया जाता है। प्रधानमंत्री की ओर से चादर दिल्ली से अजमेर के लिए रवाना हो गई है। अन्य प्रांतों से भी चादर पेश होने पहुंच रही है।
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