लखनऊः मार्च तथा अप्रैल में कोरोना की आयी दूसरी लहर ने प्रदेश में स्थिति को बेकाबू बना दिया था। शुरूआती कुछ दिनों में बढ़ी संक्रमण की दर पहले की तुलना में 30-50 गुना ज्यादा थी। इसी अनुपात में ऑक्सीजन की चौतरफा मांग भी बढ़ी। इन सबके बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कोरोना संक्रमित हर मरीज की सांसों को सहेजने के लिए अपनी बीमारी की भी परवाह न करते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जो योजना तैयार की, उसके चलते यूपी में ऑक्सीजन कमी लगभग दूर हो गई है।
योगी आदित्यनाथ ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण का इलाज कर रहे लोगों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराये जाने का निर्देश दिया। यह काम शुरू भी हो गया और गुरूवार 13 मई को बीते 24 घंटे के दौरान होम आइसोलेशन में 3,471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। ऑक्सीजन को लेकर चंद दिनों पहले ऐसा सकारात्मक माहौल नहीं था। अभी भी प्रदेश से सटी दिल्ली में ऑक्सीजन कमी बनी हुई है। आखिर वह क्या योजना थी, जिसके चलते यूपी में ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई। इस बारे चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले यह जाना कि ऑक्सीजन की कमी क्यों हो रही है और इसे कैसे दूर करने के लिए क्या-क्या किया जाए। इस पर उन्हें बताया गया कि मेडिकल ऑक्सीजन विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। कोरोना वायरस मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है, जिससे बॉडी में ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है। तब जान बचाने के लिए मरीज को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है। कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और खपत भी, लेकिन आपूर्ति में बाधा से कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है। ऑक्सीजन के वितरण की व्यवस्था की कमी इसकी कमी का सबसे प्रमुख कारण है।
ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला
इन सभी चीजों की समीक्षा करने के बाद मुख्यमंत्री ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला किया। इसके लिए बजट भी सरकार ने जारी कर दिया। इसके साथ ही भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कार्यवाही भी शुरू की गई। विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं। इसके साथ ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग द्वारा ऑक्सीजन जनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह विभाग प्रदेश के सभी 75 जिलों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाएगा। एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के मामले में सहयोग मिल रहा है। इसके अलावा सरकार ने सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं। यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित किया गया और जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाने की अनुमति भी दी गई है। इसके अलावा उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने का निर्देश दिया और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 24 घंटे सॉफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम, ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस और ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए 7 प्रतिष्ठित संस्थाओं से ऑडिट की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना के जहाजों की भी सहायता ली।
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13 मई को 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति
प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री ने टैंकरों की संख्या में इजाफा करने का भी फैसला किया। यूपी में ऑक्सीजन लाने के लिए 64 ऑक्सीजन टैंकर थे, जो अब बढ़कर 89 हो गए हैं। केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के 14 टैंकर दिए हैं। मुख्यमंत्री के प्रयासों से रिलायंस और अडानी जैसे निजी औद्योगिक समूहों की ओर से भी टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। इसके बाद भी ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने टैंकरों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी, तो सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकरों के संबंध में ग्लोबल टेंडर करने की कार्यवाही ही है। जिसके चलते अब ऑक्सीजन की और बेहतर उपलब्धता के लिए देश में क्रायोजेनिक टैंकरों के लिए ग्लोबल टेंडर करने वाला पहला राज्य यूपी बन गया है। अब यूपी में ऑक्सीजन की कमी को पूरी तरह दूर कर दिया गया है। बीती 11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया। इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कॉलेजों तथा चिकित्सालयों को 301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। जबकि 12 मई को प्रदेश में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया। जिसके तहत रीफिलर को 619.59 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कॉलेजों तथा चिकित्सालयों को 302.62 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। इसी प्रकार 13 मई को प्रदेश में 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया। जिसके तहत रीफिलर को 623.11 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कॉलेजों तथा चिकित्सालयों को 313.02 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। प्राइवेट अस्पतालों को 95.29 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है। जाहिर है कि लोगों की सांसों को संजीदगी से सहेजने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ऑक्सीजन उपलब्धता की रणनीति कारगर साबित हो रही है।