मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निरंतर जनहित में बड़े एवं ऐतिहासिक निर्णय ले रहे हैं। इसी कड़ी में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन (Forced conversion) एवं लव जिहाद (love jihad) के विरुद्ध नए विधेयक को पारित करवाकर एक और इतिहास रच दिया है। इसमें अतिशयोक्ति नहीं है कि जब से योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं तभी से वे भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए गंभीरता से कार्य कर रहे हैं। अपनी संस्कृति एवं धर्म की रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्य है तथा वह इसी का पूर्ण निष्ठा के साथ पालन कर रहे हैं।
कानून बनने से जगी आशा
विगत दीर्घ काल से लव जिहाद के प्रकरण सामने आ रहे हैं। प्रकरणों के अनुसार प्रेम प्रसंग में पड़कर लड़कियां दूसरे धर्म के पुरुषों से विवाह कर लेती हैं। विवाह के कुछ समय पश्चात् इन लड़कियों पर ससुराल पक्ष का धर्म स्वीकार करने का दबाव बढ़ने लगता है। बहुत सी लड़कियां ससुराल पक्ष का धर्म स्वीकार करने पर विवश हो जाती हैं, क्योंकि उनके पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होता। जो लड़कियां ऐसा नहीं करतीं, उनका जीवन नारकीय बन जाता है। उन्हें ससुराल में यातना एवं अपमान का सामना करना पड़ता है। अनेक प्रकरणों में पति अथवा ससुराल पक्ष द्वारा लड़कियों को बेच देने के मामले भी प्रकाश में आए हैं। ऐसे प्रकरणों में लड़कियों की हत्याओं के मामले भी प्रकाश में आए हैं। नि:संदेह ऐसे प्रकरण किसी भी सभ्य समाज के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
अब उत्तर प्रदेश में नया कानून बनने से कुछ संतोषजनक होने की आशा जगी है। उत्तर प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन एवं लव जिहाद की रोकथाम के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में जबरन धर्म परिवर्तन एवं लव जिहाद के विरुद्ध नया विधेयक प्रस्तुत किया, जो मंगलवार को पारित हो गया। इसे उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 नाम दिया गया है। इस नए विधेयक के अनुसार नाबालिग लड़की का लव जिहाद के लिए अपहरण करने तथा उसे बेचने पर आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपए तक के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। यदि किसी नाबालिग, दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो दोषी को आजीवन कारावास के साथ-साथ एक लाख रुपए का आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है। इसी प्रकार सामूहिक रूप से जबरन धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपए के आर्थिक दंड का प्रावधान है।
क्या है इस अध्यादेश में
ऐसे प्रकरण भी सामने आते रहते हैं कि भारत में धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए विदेशों से भारी मात्रा में धनराशि आती है। योगी सरकार की दूरदर्शिता के कारण अब इस पर भी रोकथाम लग सकेगी। इस विधेयक में विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए आने वाले धन पर भी अंकुश लगाने हेतु कठोर प्रावधान किए गए हैं। विदेशी अथवा अपंजीकृत संस्थाओं से धन प्राप्त करने पर 14 वर्ष तक का कारावास तथा 10 लाख रुपए के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है। यदि कोई धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति के जीवन अथवा उसकी धन-संपत्ति को भय अथवा हानि में डालता है, उस पर बल प्रयोग करता है, उसे विवाह का झांसा देता है, लालच देकर किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति को बेचता है, तो उसके लिए न्यूनतम 20 वर्ष के कारावास का प्रावधान किया गया है। प्रकरण की गंभीरता के अनुसार इसमें वृद्धि भी की जा सकती है। दोषी को पीड़ित के उपचार एवं पुनर्वास के लिए भी आर्थिक दंड चुकाना होगा। अब जबरन धर्म परिवर्तन के संबंध में कोई भी व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज करवा सकता है। इससे पूर्व केवल पीड़ित व्यक्ति, उसके परिवारजन अथवा संबंधी ही प्राथमिकी दर्ज करवा सकते थे।
इस प्रकार योगी सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन रोकने की दिशा में प्रथम पग उठा लिया है। अब इस विधेयक को विधानसभा से पारित होने के पश्चात विधान परिषद भेजा जाएगा। तत्पश्चात इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके पश्चात् इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व नवंबर 2020 में योगी सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था। इसके पश्चात् फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों ने इस विधेयक को पारित कर दिया था। इस प्रकार उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम- 2021 अस्तित्व में आया था। इस विधेयक के अंतर्गत दोषी को एक से 10 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान था। इस विधेयक के अंतर्गत केवल विवाह के लिए किया गया धर्म परिवर्तन ही अमान्य था। किसी से झूठ बोलकर अथवा उसे धोखा देकर धर्म परिवर्तन को अपराध माना गया था। यदि कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे दो माह पूर्व मजिस्ट्रेट को सूचित करने का प्रावधान था। विधेयक के अनुसार जबरन अथवा धोखे से धर्म परिवर्तन के लिए 15 हजार रुपए आर्थिक दंड के साथ एक से डेढ़ वर्ष के कारावास का प्रावधान था। यदि दलित लड़की का धर्म परिवर्तन होता है तो 25 हजार रुपए के आर्थिक दंड के साथ तीन से 10 वर्ष के कारावास का प्रावधान था।
उल्लेखनीय है कि जबरन धर्मांतरण के दृष्टिगत देश के कई राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी कानून लागू हैं। इनमें ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं हरियाणा सम्मिलित हैं। महारष्ट्र में भी जबरन धर्म परिवर्तन के विरुद्ध विधेयक लाने की बात कही जाती रही है, किंतु इस संबंध में कोई विशेष प्रगति नहीं हो सकी है।
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पूर्व के कानून की तुलना में नए कानून को अधिक सशक्त एवं कठोर बनाया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लव जिहाद के प्रकरण रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हिन्दुत्ववादी संगठन लम्बे समय से कठोर कानून की मांग करते आ रहे हैं। उनका तर्क है कि कठोर कानून से ही उनकी बहन-बेटियां सुरक्षित रह सकेंगी। देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो लव जिहाद को ‘मिथ्या’ की संज्ञा देता है। इस वर्ग का कहना है कि देश में ‘लव जिहाद’ नाम की कोई चीज नहीं है। प्रश्न यह भी है कि यदि ऐसा है तो फिर यही वर्ग इस प्रकार के कानूनों की आलोचना क्यों करता है?
वास्तव में यह विधेयक किसी समुदाय या वर्ग विशेष के विरुद्ध नहीं है, अपितु यह केवल जबरन धर्म परिवर्तन के विरुद्ध है। स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने पर कोई रोक नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर का कहना है- “कानून में जो संशोधन और सुधार हो रहा है उसके पीछे यह मकसद है कि और कड़ाई से नियम लागू हों और इस तरह की चीजें न हो। विपक्ष जो कह रहा है कि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए है, यह कानून सभी धर्मों के लोगों के लिए बनाया गया है, सिर्फ एक धर्म के लिए नहीं, वे इसका विरोध सिर्फ इसलिए करते हैं ताकि मुसलमान उनका गुलाम बना रहे और उन्हें वोट देता रहे, वे सरकार बनाते रहें और मुसलमानों को धोखा देते रहें।”
कुछ लोग कहते हैं कि प्रेम धर्म नहीं देखता है। यदि प्रेम की बात की जाए, तो प्रेम त्याग का दूसरा रूप है। प्रेम की बात करने वाले लोगों को त्याग के नाम पर सांप सूंघ जाता है। यह कैसा प्रेम है, जो केवल लड़की से उसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान छीन लेता है। यदि पुरुष इतना ही प्रेम करने वाला है, तो वह लड़की का धर्म स्वीकार क्यों नहीं करता? यह कैसा एक पक्षीय प्रेम है? प्रेम के नाम पर धोखा, छल और साजिश तो नहीं ?
-डॉ. सौरभ मालवीय
(लेखक – राजनीतिक विश्लेषक है । )
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