बड़ी सफलता! योगी सरकार ने चकबंदी कार्यों में स्थापित किया 10 सालों का नया कीर्तिमान

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लखनऊ: योगी सरकार किसानों के हितों के लिए लगातार जरूरी कदम उठा रही है। चकबंदी संबंधी कार्यों में योगी सरकार ने पिछले एक साल में 10 साल का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। चालू वित्तीय वर्ष में आठ माह में प्रदेश के 40 जिलों के 82 गांवों में चकबंदी की गई है। वहीं, पिछले वर्ष 2023-24 में प्रदेश के 74 जिलों के 781 गांवों में चकबंदी की गई थी। इसके अलावा पिछले साल सितंबर से अब तक 705 ग्राम अदालतों का आयोजन किया गया है, जिसमें 25,523 मामलों का निपटारा किया गया है।

तीन साल में 1475 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी

चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के कृषि संबंधी विवादों को पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण तरीके से निपटाने के लिए चकबंदी कराने के निर्देश दिए थे। उन्होंने इसके निस्तारण के लिए अभियान चलाकर ग्राम अदालत लगाने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में इस वित्तीय वर्ष में आठ माह में 40 जिलों के 82 गांवों में चकबंदी की गई है। वहीं, अधिनियम की धारा 6(1) के तहत चकबंदी प्रक्रिया संभव न होने पर 51 गांवों को चकबंदी प्रक्रिया से बाहर रखा गया।

50 साल से लंबित प्रक्रियाएं पूरी

इसी तरह, वर्ष 2023-24 में 74 जिलों के 781 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई। इसमें 330 गांव 10 साल से अधिक पुराने थे। वर्ष 2022-23 में 463 गांवों में और 2021-22 में 231 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई, जो पिछले 10 वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड है। कुल मिलाकर, वर्ष 2021-2022, 2022-23 और 2023-24 में 1475 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई है। वहीं, 50 साल से अधिक समय से लंबित 8 गांवों, 30 साल से 50 साल तक लंबित 72 गांवों और 10 साल से 30 साल तक लंबित 296 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई।

इसमें आजमगढ़ के ग्राम महुवा व गोमाडीह में क्रमशः 63 व 56 वर्षों से लंबित चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई। इसके अलावा गाजीपुर के ग्राम सवाना व बरेजी की चकबंदी प्रक्रिया 59 वर्षों से लंबित थी तथा ग्राम बेलसरी की चकबंदी प्रक्रिया 55 वर्षों से लंबित थी, जिसे पूरा किया गया।

कन्नौज के 8 गांवों के चकबंदी अभिलेख दोबारा तैयार किए गए

चकबंदी आयुक्त ने बताया कि लखीमपुर खीरी के ग्राम सुआभोज, सुल्तानपुर के ग्राम मलापुर जगदीशपुर, जौनपुर के ग्राम ढेमा ​​में क्रमशः 53, 54 व 52 वर्षों से चकबंदी प्रक्रिया लंबित थी, जिसे पूरा किया गया। इसके अलावा सुल्तानपुर के गांव अंदरपुर में 48 साल, बरेली के गांव मोहनपुर में 41 साल, बिजनौर के गांव छाछरी टीप में 35 साल, बदायूं के गांव रहेड़िया में 33 साल, मऊ के गांव अल्देमऊ में 31 साल, बुलंदशहर के गांव याकूबपुर और मुस्तफाबाद डडुवा में 30 साल से चकबंदी प्रक्रिया चल रही थी, जो पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही कन्नौज में 1990 में आग लगने से 35 गांवों के अभिलेख जल गए थे, जिससे 34 साल से चकबंदी प्रक्रिया बाधित चल रही थी।

चकबंदी आयुक्त ने दी जानकारी

इसमें नए अभिलेख तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती थी। ऐसे में चकबंदी आयुक्त ने तत्कालीन अपर निदेशक चकबंदी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। साथ ही कमेटी की संस्तुति के बाद पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 35 में से 8 गांवों के अभिलेख बनाए गए। इनमें से दो गांवों नंदलालपुर और करनौली की चकबंदी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इतना ही नहीं, पिछले साल चकबंदी प्रक्रिया में शामिल लखीमपुर खीरी के गांव रामपुर मकरंद की चकबंदी प्रक्रिया एक साल में और रामपुर के गांव चक रफातपुर की चकबंदी प्रक्रिया महज आठ महीने में पूरी हो गई।

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जल्द ही एआइ, ब्लॉकचेन, ड्रोन और रोवर से होगी चकबंदी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबंदी से जुड़े पुराने लंबित मामलों के निपटारे के लिए गांवों में ग्राम अदालतें लगाने के निर्देश दिए थे। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद पिछले साल सितंबर से अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में 705 ग्राम अदालतें लगाई गईं। इसके जरिए 25,523 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। इसके अलावा किसानों के हित और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए एआइ, ब्लॉकचेन, ड्रोन और रोवर सर्वे आधारित चकबंदी कराने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत आइआइटी रुड़की के साथ परीक्षण चल रहा है। साथ ही जीआइएस आधारित सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप विकसित करने की कार्रवाई भी की जा रही है। जल्द ही इन तकनीकों का इस्तेमाल कर चकबंदी प्रक्रिया संचालित की जाएगी।

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