योगी सरकार ने चार सालों में खादी को दिलायी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान, युवाओं की बनी पहली पसंद

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले तक जो खादी अपनी पहचान को तरस रही थी, योगी सरकार ने उसे चार वर्षों में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का काम किया है। सरकार ने खादी से जहां आम आदमी को जोड़ा है। वहीं, विदेशों में भी खादी को बढ़ावा देने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर फैशन शो के आयोजन किए गये हैं। खादी का दायरा बढ़ने से कोरोनाकाल के दौरान भी सरकार ने इसे विभिन्न परियोजनाओं से जोड़ कर रोजगार के नए-नए अवसर पैदा किए हैं। युवाओं के बीच लोकप्रिय खादी के उत्पादों को इसके उत्कृष्ट कारीगर रोज नया कलेवर देने में जुटे हैं।

राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक स्वदेश की परिकल्पना पर आधारित खादी अब यूपी में युवाओं की पहली पंसद बन चुकी है। खादी उद्योग से जुड़ने के लिये युवाओं को प्रेरित करने की हर संभव मदद करने वाली योगी सरकार लगातार उद्योग को बढ़ाने में लगी है। इसकी वजह है कि प्रदेश में बीते तीन महीनों में खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 75 जिलों में 185 परियोजनाओं को 786.06 लाख रुपये की अनुदान राशि दी है। इसके माध्यम से यूपी के 1480 लोगों को रोजगार मिल सका है। प्रवक्ता ने बताया कि बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने वाला खादी उद्योग यूपी में रोज बढ़ रहा है। सरकार खादी एवं अन्य छोटे उद्योगों के लिए बेहतर बाजार स्थापित कर रही है।

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सरकारी प्रवक्ता के अनुसार खादी के विकास के लिए सरकार के उठाए गए कदम खादी उद्योग को बढ़ाने के प्रयासों में मदद कर रहे हैं। खादी उत्पादों के प्रति बढ़ते रुझान का असर है कि लखनऊ, बुलंदशहर, हापुड़, फतेहपुर, बाराबंकी, औरैया, हरदोई, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, चंदौली, शामली, प्रतापगढ़ में उद्योग बढ़ा और युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिलना शुरू हुए। युवाओं के सपनों को साकार करने वाली योगी सरकार ने अपनी विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों से रोजगार के अवसर दिलाने का लक्ष्य प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से 30 जून तक प्रदेष में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बैंकों से स्वीकृत परियोजनाओं में 4928 लोगों को रोजगार दिया। इस कार्यक्रम के तहत खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड और जिला उद्योग केन्द्र में बैंकों द्वारा 616 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं। जिनको 2283.71 लाख अनुदान राशि दी गई। यूपी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यामों को बढ़ावा देने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास का जो मॉडल रखा। उसके चलते गांवों में उद्योग तो बढ़े ही साथ में गांव-गांव से युवाओं का पलायन भी रुका।