Year Ender 2024: वादा करने में अपना लखनऊ नगर निगम सबसे माहिर है। 2024 के शुरू होते ही वादों की शुरूआत कर दी गई थी। साल लगभग बीत चुका है। इस साल नगर निगम को बहुत सारे काम करने थे। इनकी घोषणा खुद महापौर या नगर आयुक्त ने की थी, मगर जनता की उम्मीदों पर निगम खरा नहीं उतर सका। जो काम किए जाने थे, उनमें ज्यादातर शुरू भी नहीं किए गए। वार्डों में एक-दो नहीं, बल्कि यहां हजारों समस्याएं हैं। इनके समाधान के लिए लोग आए दिन महापौर सुषमा खर्कवाल या फिर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के पास पहुंचते रहते हैं।
पार्षदों के जरिए भी समस्याएं उठाई जाती हैं। उनके समाधान के लिए आश्वासन मिलता है। जनता सीधे संवाद करती है, तब भी उनको आश्वासन ही मिलता है। विकास कार्यों के लिए भी तमाम मौकों पर घोषणाएं की जाती हैं। मीडिया के जरिए भी लोगों को तमाम तरह के कार्य कराए जाने की जानकारी मिलती है। साल 2024 लगभग बीत चुका है और लोग 2025 के स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं लेकिन सवाल यही है कि आखिर उनके क्षेत्र में कई काम होने थे, लेकिन उनका श्रीगणेश भी नहीं हो सका। आपको बताते हैं कि किस तरह इस साल नगर निगम सिर्फ वादे करने में अव्वल रहा, काम करने में नहीं।
Year Ender 2024: सफाई का बजट बढ़ा, पर स्वच्छता रैंकिंग में फिसड्डी
नगर निगम की जिम्मेदारी होती है कि वह शहर को साफ-सुथरा बनाने में कोई कसर न छोड़े। पूरा साल यही देखा गया कि शहर की सफाई व्यवस्था कुछ ही स्थानों पर बेहतर हो सकी है, जबकि इसमें खर्च किए जाने वाले धन में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई। आलम यह है कि मंडियों, अस्पतालों यहां तक कि कई मोहल्लों में कूड़े का ढेर आसानी से दिख जाएगा। अभी हाल में ही शहर की सफाई व्यवस्था के मद में 120 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। चालू वित्तीय वर्ष के मूल बजट में पहले सफाई के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान था, हाल में ही इसे बढ़ाकर 170 करोड़ रुपये कर दिया गया है। सफाई का बजट तो बढ़ गया लेकिन स्वच्छता की रैंकिंग अभी लखनऊ फिसड्डी ही है। हालांकि, अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में स्वच्छता सर्वेक्षण में लखनऊ किस पायदान तक पहुंचता है।
इसके अलावा नगर निगम की ओर से शहर में शौचालय बनवाए जाते हैं। कई चैराहों पर अभी तक शौचालय बनवाने के लिए निगम को जमीन नहीं मिल सकी है। इतनी बड़ी समस्या से जूझने वाले अफसरों ने अभियान चलाकर मूत्र विसर्जन करने वालों पर जुर्माना लगाना शुरू किया था। उन पर मालाएं पहनाकर मीडिया की सुर्खियां बनाई लेकिन यह दांव भी उलटा पड़ा इसीलिए कई कार्यों के लिए धन बढ़ाकर समाधान निकालने पर जोर दिया गया है। जरूरी कामों पर नगर निगम 204 करोड़ रुपए खर्च करेगा। पहले इन मदों में 67.5 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान था। इनमें शौचालयों का भी जिक्र किया गया है। चैंकाने वाली बात यह है कि सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव का बजट पांच गुना बढ़ाकर 50 लाख से ढाई करोड़ कर दिया गया है लेकिन अभी शहर में लोगों को शौचालय ढूढने से भी नहीं मिलते।
Year Ender 2024: बड़ी घटनाओं ने कराई निगम की फजीहत
नगर निगम अपनी गलतियों को बहुत ही जल्द भूल जाता है। बारिश के दौरान नाले में एक बच्चा बह गया था। इससे पहले मजदूरों की भी मौत सीवर सफाई के दौरान हुई थी। नगर अभी तक कार्यदायी संस्था को जिम्मेदार बनाकर भी खुले नाले बंद नहीं किए जा सके। मैनहोल भी कई स्थानों पर खतरनाक हैं। नालों के पत्थर टूटे और उखड़े हुए हैं। अक्सर अधिकारियों और ठेकेदारों की ओर से बजट का हवाला दिया जाता है। मुख्यालय में ही दिसंबर की कार्यकारिणी की बैठक में पुनरीक्षित बजट पास हुआ। इसमें शहर के बजट में 479.15 करोड़ की बढ़ोत्तरी की गई है। मेयर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता में नालों की सफाई पर अब 08 करोड़ की जगह 13 करोड़ खर्च होंगे।
Year Ender 2024: अंधेरे में रहती हैं गलियां
नगर निगम अधिकारियों और महापौर को कई बार गुस्से में देखा जाता है। इसका कारण है कि निगम में शामिल किए गए मोहल्लों में अभी तक स्ट्रीट लाइट नहीं लगी हैं। तमाम लोगों ने खुद ही मार्केट से खरीदकर स्ट्रीट लाइटें लगवाई हैं। बीते महीनों पार्षदों को 25 लाइटें दी गई थीं, लेकिन उनसे समाधान नहीं हो सका। जब लोग महापौर और नगर आयुक्त के पास स्ट्रीट लाइटों की मांग करने पहुंचते हैं तो उनको भी खरी-खोटी भी सुननी पड़ती है जबकि निगम ने लाइटों के रखरखाव पर भी 09 करोड़ की जगह 19 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया है।
Year Ender 2024: महिला बाजार और मॉडल वेंडिंग जोन हवा-हवाई
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने नए मॉडल वेंडिंग जोन के लिए बजट में बढ़ोत्तरी की है। पहले यह पांच करोड़ था, अब बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है, मगर चारबाग में महिला बाजार का वादा करने वाली महापौर ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। अब उनका तर्क है कि महिलाएं तो हर बाजार में हैं, जबकि मॉडल वेंडिंग जोन भी अभी तक केवल घोषणा ही बने हुए हैं। कनौसी में सालों से काम चल रहा है। बजट भी बढ़ा दिया गया, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ सकी।
Year Ender 2024: चरम पर रहा भ्रष्टाचार
नगर आयुक्त की ईमानदारी इस साल चर्चा में रही। महापौर भी उनकी प्रशंसा करने से नहीं चूकती हैं, मगर कई घटनाएं और काम ऐसे सामने आए, जिन पर भ्रष्टाचार के दाग लगे। इनकी जांच कराई गई तो मामला सच भी साबित हुआ। जोन छह और सात भी इस बार खूब चर्चा में रहे। दिसंबर में ही एक लेखपाल को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया। फैजुल्लागंज में नाले की मिट्टी का मामला उजागर हुआ। इसी तरह एक लिपिक को भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया। नई इंटरलॉकिंग को पुरानी बताकर उसे पुनः बनवाने का प्रकरण अभी तक चल रहा है। डीजल चोरी को खुद नगर आयुक्त ने गंभीर माना और कई मामले तो जांच के दायरे में हैं। इसके अलावा नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक हो या फिर सत्र, हर बार महापौर को उनकी निधि के कारण घेरा जाता है। इसमें सत्ता पक्ष के पार्षद भी विपक्ष के साथ सुर में सुर मिलाते रहते हैं। हंगामे का कारण यह होता है कि मेयर की निधि बढ़ा दी गई थी। अनुपात में यह काफी है इसीलिए पार्षद इसे मुद्दा बनाकर पेश करते हैं।
Year Ender 2024: नगर निगम मुख्यालय के विरोध में भाजपाई
नगर निगम अपना अत्याधुनिक ऑफिस बनवा रहा है। इसे मॉडल बताकर महापौर तो गदगद हैं, लेकिन उनके ही पार्षद इसका उपहास उड़ा रहे हैं। खुद भाजपा के पार्षद नागेंद्र सिंह कहते हैं कि जिस इमारत में नगर निगम का मुख्यालय है, यह पचासों साल तक हिलने वाला नहीं है। नई इमारत की भी देखरेख की जरूरत पड़ती है, मगर पार्षदों की बात नहीं मानी जा रही है। जिस स्थान पर यह इमारत बन रही है, वहीं पर गोमतीनगर में आरआर कार्यशाला है। इसी में पेट्रोल टंकी है। इसे शिफ्ट नहीं किया गया। पेट्रोल टंकी शिफ्ट किए बिना नगर निगम के नए मुख्यालय का निर्माण शुरू हो गया है।
Year Ender 2024: अपना खजाना भरने को निगम तैयार
नगर निगम ने अपना प्लान तैयार कर लिया है। आने वाले साल में भवन कर से 310 करोड़, वाहनों पर कर से 20 लाख, कुत्तों के लाइसेंस से 10 लाख, विज्ञापन शुल्क से 07 करोड़, प्रेक्षागृहों से शुल्क के तौर पर 01 करोड़, पार्किंग ठेकों से 10 करोड़, विभिन्न लाइसेंस शुल्क से 03 करोड, यूजर चार्ज से 55 करोड़, म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी होने से एक अरब, 14वां व 15वें वित्त आयोग से 2.96 अरब रूपये जुटाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
Year Ender 2024: बैकुंठ धाम में नहीं रोक पाए मनमानी
पिछली कार्यकारिणी में ही महापौर ने कहा था कि बैकंुठ धाम में अंतिम संस्कार में इस्तेमाल आने वाली हर वस्तु का रेट बोर्ड लगाया जाएगा लेकिन इस आदेश को भी पूरी तरह से नहीं माना गया। अब तो बाहर दुकानों में भी शव दाह में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं बिक रही हैं। इनके दामों में मनमानी की जा रही है। कई बार लकड़ी के निर्धारित रेट बढ़ाकर लिए जाते हैं। पुराने नियमों को पूरी तरह से लागू भी नहीं कर पाते हैं कि नए नियम बन जाते हैं। अभी तक बजट का रोना रहता था, अब गुलालाघाट पर सीसीटीवी लगाने के साथ ही लाइटिंग करने का दावा किया गया है। देखना यह है कि आने वाले दिनों में महापौर अपनी बात पर कितना खरा उतर पाती हैं।
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Year Ender 2024: हटाए जाएंगे बांग्लादेशी व रोहिंग्या
नई व्यवस्था के तहत शहर से बांग्लादेशी और रोहिंग्या को हटाने पर विचार चल रहा है। दिल्ली की तर्ज पर इनके आधार कार्ड चेक किए जाएंगे। महापौर ने कहा है कि शहर में अनाधिकृत रूप से रहने वालों को हटाया जाएगा। यदि किसी के गलत तरीके से आधार कार्ड बने हैं, तो यह भी पता चल सकेगा कि किसकी हमदर्दी में आधारकार्ड बनाए गए हैं। उनको कैंसिल कराया जाएगा।
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