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संकष्टी चतुर्थी पर भगवान विनायक की आराधना से दूर हो जाते हैं सभी विघ्न, जानें शुभ मूहर्त और पूजा विधि

bhagwan ganeshji

नई दिल्लीः हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पूरी तरह से भगवान गणेशजी को समर्पित होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ी है। इसलिए महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। भगवान गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए आज के दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से भक्त के सभी विघ्न दूर हो जाते है। भक्त के घर में शुभता को वास होता है और किसी भी कार्य में आ रहीं सभी बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती है।

 

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त संकष्टी चतुर्थी तिथि 27 जुलाई को शाम 3 बजकर 54 मिनट से शुरू हो कर 28 जुलाई दोपहर 2 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। वहीं चन्द्रोदय का समय 27 जुलाई को रात्रि 9.50 बजे रहेगा।

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संकष्टी चतुर्थी की पूजन की विधि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले भक्त को प्रातः काल उठने के बाद घर की सफाई के पश्चात स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। आज के दिन लाल व पीला वस्त्र पहनना शुभ होता है। इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान का तिलक कर उन्हें मौसमी फल, मिष्ठान, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। मिष्ठान में भगवान को अतिप्रिय मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगायें। इसके साथ ही गणेशजी को दूर्वा भी अर्पित करें। इसके बाद कथा सुनकर आरती अवश्य करें और प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में वितरित करें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सायंकाल चंद्रमा को अर्घ्य देने पर ही पूर्ण होता है। इसलिए संध्याकाल के समय चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य दें।