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पौष माह में भगवान सूर्यदेव की आराधना से होती है पुण्य की प्राप्ति

नई दिल्लीः धर्मोपासना का पवित्र माह पौष सोमवार से शुरू हो गया है। सूर्यदेव के धनु राशि में संचरण के साथ ही आज से पौष आरंभ हुआ है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। भारतीय पंचागानुसार दसवां माह पौष बताया गया है। इस माह किए गए सत्संग, कीर्तन और दानपुण्य काफी फलदायी रहते है। यह विक्रम संवत का दसवां महीना कहलाता है। पूर्णिमा होने के साथ चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहते है उसी नामानुसार इस माह को पौष माह कहा गया है। धार्मिक आख्यान में पौष माह का बड़ा महात्मय बताया गया है।

पौष माह में सूर्यदेव की आराधना का विशेष महत्व
पौष माह में भगवान सूर्यदेव की आराधना और पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से सूर्य को जल देना शुभ माना जाता है। इस माह में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल किया जाता है। तांबे के पात्र में जलभर कर उसमें रोली और लाल फूल मिलाकर ‘ॐ आदित्याय नमः’ बोलते हुए सूर्य को जल देना चाहिए। पौष माह में पवित्र नदियों में स्नान-दान से शुभ फल और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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वामन पुराण के मुताबिक पौष माह में अन्न आदि का दान करने से भगवान विष्णु अपने भक्त पर बेहद प्रसन्न होते हैं। पौष माह में ठंड अपने चरम पर होती है और इस माह सूर्य का प्रभाव भी कम हो जाता है। ऐसे में इस माह गुड़, तिल, अजवाइन, लौंग, अदरक, मेवे आदि का सेवन बेहद लाभदायक होता है।

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