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सकट चौथ पर भगवान गणेश की आराधना, व्रत कथा सुनने से संतान होती है दीर्घायु

नई दिल्लीः संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए माताएं आज के दिन सकट चौथ का व्रत रखती हैं। आज के दिन भगवान गणेश की पूजा आराधना की जाती है। वैसे तो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन माघ माह की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है। माताएं आज के दिन पूरा दिन उपवास रखती हैं और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं। सकट चौथ के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें चौकी पर स्थपित किया जाता है। इसके बाद उनकी पूजा की जाती है। पूजा के समय व्रत कथा सुनने के बाद आरती की जाती है। इसके बाद सूर्यास्त के बाद चंद्रोदय के समय फिर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान गणेश की आराधना की जाती है और उन्हें शकरकंद, काले तिल के लड्डू, नेवैद्य और मौसमी फल का भोग लगाया जाता है। इसके बाद व्रत कथा सुनी जाती है और गणेश मंत्र का जाप कर आरती की जाती है। इसके बाद चंद्रमा को जल अर्पण का व्रत का पारण किया जाता है।

सकट चौथ पर यह कथा अवश्य सुननी चाहिए। कथा के अनुसार सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के राज में एक कुम्हार था। उस कुम्हार ने एक बर्तन बनाया और उसमें आवा लगाया। लेकिन काफी देर तक वह आवा पका नहीं था। उसने कई बार ऐसा ही किया, लेकिन फिर उसे नुकसान ही उठाना पड़ रहा था। ऐसे में उसने परेशान होकर मदद के लिए एक तांत्रिक के पास गया और सारी कहानी बतायी। तब उस तांत्रिक ने कुम्हार से कहा कि वह एक बच्चे की बलि देगा तो फिर ऐसा नही होगा। उसके कहने पर उस कुम्हार ने एक छोटे बच्चे को आवा में डाल दिया। कुम्हार ने जिस दिन उस बच्चे को आवा में डाला वह संकष्टी चतुर्थी का दिन था।

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जब उसकी मां को अपने बच्चे के बारे में पता चला तो उसने भगवान गणेश का आह्वान किया और उनसे अपने बच्चे की प्राणों की रक्षा करने की गुहार लगायी। वहीं दूसरी ओर जब कुम्हार आवा में बर्तनों को देखने गया तो वह वहां दृश्य देख अंचभित रह गया। उसने देखा कि उसके सारे बर्तन भी पक गये हैं और वह बच्चा भी पूरी तरह सुरक्षित है। कुम्हार को यह सब देख अपनी गलती का एहसास हुआ और वह राजा के पास गया। वहां जाकर उसने सारी कहानी राजा से कह दी। इस पर राजा ने बच्चे और उसकी मां को वहां बुलाया और पूछा कि ऐसा कैसे संभव हुआ तो बच्चे की मां ने संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा और भगवान गणेश के चमत्कार के बारे में बताया। तब से लेकर आज तक महिलाएं अपनी संतान के प्राणों की रक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत करती हैं।