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भगवान विनायक की आराधना से पूरी होंगी सभी मनोकामना, पूजा के साथ करें गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ

नई दिल्लीः पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेशजी को समर्पित होती है। वैसे तो हर माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की आराधना की जाती है। इस माह की चतुर्थी तिथि बुधवार को पड़ी है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक बुधवार को गौरीसूत भगवान विनायक की पूजा आराधना की जाती है। इसीलिए बुधवार के दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ने से इसका महात्म्य और भी बढ़ गया है। संकष्टी चतुर्थी की व्रत एवं पूजन करने से भगवान की विशेष कृपा भक्त पर होती है और उसके सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन पुष्य नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। जोकि ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक बेहद शुभफलदायक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पुष्य नक्षत्र में किया गया कोई भी कार्य हमेशा शुभ होता है। आज के दिन भगवान विनायक की आराधना और गणेश संकटनाशन स्त्रोत्र का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। जैसा कि संकटी चतुर्थी के नाम से ही यह ज्ञात होता है कि इस दिन व्रत-पूजन से संकट का नाश होता है। इसीलिए भगवान विनायक की आराधना और गणेश संकटनाशन स्तोत्र अवश्य करें।

गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासंः स्मरैनित्यंमायुःकामार्थसिद्धये।।1।।

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयंकृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रंचतुर्थकम।।2।।
लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णतथाष्टकम्।।3।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तुविनायकम्।

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एकादशं गणपतिं द्वादशं तुगजाननम्।।4।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य यः पठेन्नरः।

पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभतेगतिम्।।6।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलंलभेत।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभतेनात्र संशयः ।।7।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां यः समर्पयेत।

तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादतः।।8।। ॥
इति श्रीनारदपुराणेसंकष्टनाशनंगणेशस्तोत्रंसम्पूर्णम्॥

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