रीवा : रीवा के पचमठ आश्रम में शनिवार को महाशिवरात्रि पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। शिव बरात आयोजन एवं लोक कल्याण समिति ने भंडारा में महाप्रसाद के रूप में खिचड़ी का वितरण किया। साथ ही रीवा में सर्वाधिक खिचड़ी बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम के सचिव डॉ. एके जैन ने यह दावा किया है। उन्होंने बताया कि शिव बारात आयोजन एवं जन कल्याण समिति ने 5100 किलो खिचड़ी बनाकर एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले सबसे ज्यादा 3100 किलो खिचड़ी बनाने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ था।
पचमठ आश्रम में महाशिवरात्रि पर आयोजित भंडारे में 1100 किलो के पान में 5100 किलो खिचड़ी बनाई गई और करीब 51 हजार श्रद्धालुओं को इसका महाप्रसाद बांटा गया। एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने भी पहुंचकर देश और दुनिया के सबसे बड़े खिचड़ी महाप्रसाद को कवर करने का अवॉर्ड दिया। आयोजन समिति के सचिव प्रतीक मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर 15वीं बार इसका आयोजन किया गया है। पहली बार एक कड़ाही में 5100 किलो खिचड़ी तैयार की गई है। पिछला रिकॉर्ड 3000 किलो का था।
इससे पहले महाशिवरात्रि के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी बैजू धर्मशाला से भोलेनाथ माता पार्वती की शोभायात्रा वाद्य यंत्रों के साथ शहर में निकाली गई। शोभायात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल हुए। कलेक्टर मनोज पुष्प व डीआईजी नवनीत भसीन शिव बारात समिति के अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने पूजा-अर्चना कर शिव-पार्वती की शोभायात्रा निकाली।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर और आगरा के कारीगरों ने 15 दिनों में 1100 किलो की कड़ाही बनाई थी। इसे बनाने में 51 कारीगरों को लगाया गया था। कड़ाही को हाइड्रोलिक मशीन से उठाकर ट्रक में लोड किया गया और कानपुर से रीवा के पचमाता आश्रम लाया गया। पचमथा आश्रम में हंडा निकालने के लिए हाइड्रोलिक मशीन की मदद ली गई। हौज की ऊंचाई 5।50 फीट और चौड़ाई 11 फीट है। ऊंचाई अधिक होने के कारण कड़ाही के पास खड़े होकर अंदर नहीं झांक सकते। इसके लिए एक विशेष भट्टी बनाई गई थी। जेसीबी की मदद से कड़ाही को उतारकर भट्टी पर चढ़ाया गया। इसलिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम इसे देखने रीवा आई थी।
शिव बारात आयोजन एवं जनकल्याण समिति के सचिव प्रतीक मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर खिचड़ी का विश्व रिकॉर्ड बना है। मंदिर परिसर में गुम्बद पंडाल लगाया गया। 1100 किलो के बर्तन में 5100 किलो खिचड़ी तैयार की गई। जिसमें 4000 लीटर पानी, 600 किलो चावल, 300 किलो दाल, 100 किलो देसी घी और 100 किलो हरी सब्जियां मिलाई गईं।
महाशिवरात्रि पर 21 शिव भक्तों ने मिलकर खिचड़ी तैयार की। आयोजकों का कहना है कि पांच श्रद्धालु सूखा सामान लेकर आएं। पांच शिव भक्तों ने हलवाई की भूमिका निभाई और पांच ने भट्टी की लौ को बनाए रखने की जिम्मेदारी ली। एक भक्त सबका समन्वय करता रहा। यहां पहुंचे शिव भक्तों को भंडारे से जुड़ी जिम्मेदारी भी दी गई थी। समिति के अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने बताया कि देश में पहली बार 11 क्विंटल वजन के तवे पर 51 क्विंटल खिचड़ी बनाई गई है। इसके लिए एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम पचमाथा आश्रम आई थी।
पचमठ आश्रम के महंत विजय शंकर ब्रह्मचारी ने बताया कि आदिगुरू शंकराचार्य ने भारत की चारों दिशाओं में चार मठों का निर्माण कराया। आदिगुरु शंकराचार्य ने रीवा से गुजरते हुए बिहार नदी के तट पर पाँचवें मठ (पचमठ) की स्थापना की। सदियों से संत महात्मा अमरकंटक से प्रयागराज जाते समय पचमठ आश्रम में रुकते थे, इसलिए इसे संतों का सिद्ध स्थान भी कहा जाता है। स्वामी ऋषि कुमार महाराज ने 1954-55 में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। तभी से आश्रम का महत्व लगातार बढ़ता गया।
मंदिर के संतों ने कहा कि खिचड़ी हर क्षेत्र का व्यंजन है। जाति और धर्म के अनुसार अलग-अलग नाम हैं। इसका नाम उत्तर में खिचड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल है। विज्ञान से लेकर आयुर्वेद और डॉक्टर भी खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं। रीवा के पचमठा में विशाल खिचड़ी भंडारे का मकसद इसे राष्ट्रीय व्यंजन घोषित करना है।
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