Sunday, November 10, 2024
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World Photography Day: उन हुनरमंदों को सलाम करने का दिन, जिन्होंने अपनी फोटोग्राफी से दुनिया को दिखाया आईना

World Photography Day, नई दिल्ली: हाल ही में दुनिया ने बांग्लादेश को तबाह होते देखा। साथ ही इस बात का सबूत भी देखा कि भीड़ में कोई ईमान नहीं है। शेख मुजीबुर रहमान की आदमकद प्रतिमा का अपमान होते देखा। यह दिल दहला देने वाला दृश्य था। ये वो तस्वीरें थीं जो कुछ दिनों बाद किसी और तस्वीर से बदल जाएंगी लेकिन हमेशा यादों में रहेंगी। इन्हें इतिहास के सीने पर खरोंच कर चिपका दिया गया है।

हुनरमंदों ने अपनी फोटोग्राफी से दुनिया को दिखाया आईना

चाहे तख्तापलट हो, प्राकृतिक आपदा हो, युद्ध की त्रासदी हो या दंगा… कैमरा अपनी आंखों से सबको देखता और दिखाता है। विश्व फोटोग्राफी दिवस उन हुनरमंदों को सलाम करने का मौका देता है जिन्होंने समय-समय पर दुनिया को आईना दिखाया है। जब-जब इंसानियत अपनी हदें पार करने लगी है, उसे हकीकत के धरातल पर उतारा है।

2015 में बीच पर बेहोश पड़े मासूम एलन कुर्दी या 2018 की वो तस्वीर कौन भूल सकता है जिसमें 25 साल के ऑस्कर अल्बर्टो मार्टिनेज रामिरेज़ और उनकी 2 साल की बेटी वेलेरिया बीच पर बेहोश मिले थे। दोनों अमेरिका पहुंचने की कोशिश में मैक्सिको के तमाउलिपास राज्य में रियो ग्रांडे नदी में डूब गए। लड़की अपने पिता की शर्ट के अंदर फंसी हुई दिखी और उसका हाथ उसके पिता के शव पर था।

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जब केविन कार्टर की एक तस्वीर ने ला दिया था भूचाल

1993 में फोटोग्राफर केविन कार्टर की एक तस्वीर ने भूचाल ला दिया था। यह अकाल और युद्ध से जूझ रहे सूडान की भयावह तस्वीर थी। इसके कई मायने निकाले गए। इसमें भूख से बेदम एक लड़की थी जो अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी और एक गिद्ध उसकी सांसों पर नजर गड़ाए बैठा था। दुनिया ने गिद्ध और लड़की का नाम रखा। अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘ए पिक्चर इज वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स’। मतलब, एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। वो बातें जिन्हें लिखने और कहने में हमें वक्त लगता है। फोटोग्राफर पल भर में दुनिया के सामने शुद्ध भावनाएं पेश करने की क्षमता रखते हैं।

हर साल आज ही के दिन प्रतिभाशाली लोगों को किया जाता है याद

19 अगस्त को ऐसे ही प्रतिभाशाली लोगों को याद किया जाता है। वो फोटोग्राफर जिनके कैमरों ने तस्वीरें नहीं खींचीं, बल्कि कहानियां सुनाईं। उन्होंने दुनिया को नींद से जगाया है। कैमरा कोई भी हो, चाहे वह 19वीं सदी का डागरियोटाइप फोटोग्राफी कैमरा हो या आज का डिजिटल कैमरा, मौका मिलते ही इन्होंने राजाओं को नींद से जगा दिया है।

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