नई दिल्लीः दुनियाभर में ऐसी कई धरोहरें हैं, जो प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुए हैं। ऐसी धरोहरों को संवारने व सहजने के साथ ही लोगों तक इनके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) मनाया जाता है। इस दिन राज्यों में सरकार व संस्थाओं की ओर से प्राचीन धरोहरों की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत –
दुनियाभर में फैले तमाम प्राचीन धरोहरों के प्रति लोगों को जागरूक करने व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) की शुरुआत हुई। वर्ष 1983 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने पहली बार इस दिवस को मनाया।
विश्व धरोहर दिवस का महत्व –
हर धरोहर की अपनी एक कहानी है। राजा-महाराजा, योद्धा, महापुरुषों की यादों को समेटे स्मारक हों या कला क्षेत्र से जुड़ी संस्कृति। इन अनमोल धरोहरों व विरासतों को आज सहेजने की जरूरत है। विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) को इसी उद्देश्य के साथ मनाया जाता है।
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विश्व धरोहर दिवस की थीम –
हर साल यूनेस्को द्वारा इस दिवस को मनाने की अलग-अलग थीम की घोषणा की जाती है। इस साल विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) ‘विरासत परिवर्तन’ की थीम पर मनाया जाएगा।
भारत में कितने विश्व धरोहर –
पूरे विश्व में यूनेस्को द्वारा घोषित विरासत स्थलों की संख्या 1154 है। भारत में कुल 3691 स्मारक व धरोहर हैं। इनमें से 40 धरोहर यूनेस्को द्वारा संरक्षित हैं।
भारत में इन विश्व धरोहरों की सूची में अजंता-एलोरा की गुफाएं, ताज महल, आगरा का किला, काजीरंगा नेशनल पार्क, वैली ऑफ फ्लावर्स, हुमायूं का मकबरा, कुतुब मीनार, लाल किला, सुंदरबन नेशनल पार्क व कंचनजंगा नेशनल पार्क जैसे स्थल हैं।
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