Friday, October 18, 2024
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वर्ल्ड चैंपियन मानसी: एक पैर से ही जीता देश के लिए गोल्ड

लखनऊः हम सबकी ज़िंदगी में चुनौतियां आती ही रहती हैं। ये चुनौतियां ही हमें मजबूत बनाती हैं, लेकिन कई बार लोग इन चुनौतियों से घबरा जाते हैं और इनका डटकर सामना करने की बजाय हार मानकर बैठ जाते हैं। जो इन चुनौतियों को जीतकर आगे बढ़ते हैं वो ही एक दिन ऐसे मुकाम पर पहुंचते हैं, जहां पूरा देश उन्हें सलाम करता है और वो देश के लिए एक मिसाल बन जाते हैं। ऐसी ही देश के लिए मिसाल हैं
वर्ल्ड चैंपियन भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी।

आज मानसी बैडमिंटन की विश्व चैम्पियन हैं और पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है, लेकिन मानसी की इस सफलता के पीछे की कहानी संघर्षों से भरी और प्रेरणादायक है। विश्व चैम्पियन मानसी के साथ साल 2011 में एक ऐसा हादसा हुआ था, जिसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी। 2011 में वह एक सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गईं। स्थिति ऐसी आ गई कि उनका बायां पैर काटना पड़ा। ऐसी स्थिति में अच्छे-अच्छे लोग जब हिम्मत हार जाते हैं और जीने की उम्मीद तक छोड़ देते हैं। उस स्थिति में मानसी ने खुद को संभाला और देश के लिए एक मिसाल बनकर खड़ी हुईं। जिन पर आज पूरा देश गर्व करता है और उन्हें सलाम करता है। आइए जानते हैं मानसी के संघर्ष की कहानी।

हादसे में खोया बायां पैर

11 जून 1989 को राजकोट गुजरात में जन्मी मानसी जोशी मुंबई में पली-बढ़ी हैं। मानसी के पिता गिरीशचंद्र जोशी एक सेवानिवृत्त वैज्ञानिक हैं। मानसी को बचपन से ही खेलों से काफी लगाव रहा है और वो फुटबॉल एवं बैडमिंटन खेलती रही हैं। उन्होंने 6 साल की उम्र में अपने पिता के साथ बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। मानसी बैडमिंटन अपने शौक के लिए खेलती थीं। अपने स्कूल के दिनों में उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज के लिए भी बैडमिंटन खेला है। बाद में मानसी ने साल 2010 में मुंबई के के.जे. सोमैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद मानसी एक इंजीनियर के रूप में जॉब करने लगीं। मानसी की ज़िंदगी अच्छी-खासी चल रही थी। वो अपनी ज़िंदगी में काफी खुश थीं, लेकिन तभी साल 2011 में एक ऐसा हादसा घटा जिसने मानसी की ज़िंदगी में तूफान ला दिया। जिसकी कभी मानसी ने कल्पना भी नहीं की होगी, उन्हें वो ज़िंदगी बितानी पड़ी। साल 2011 में जब मानसी अपनी स्कूटी से अपने ऑफिस जा रही थीं, तभी उनके साथ एक सड़क हादसा हो गया। एक्सीडेंट के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचने में 3 घंटे लग गए और 10 घंटे के बाद ऑपरेशन थिएटर में वो पहुंच पाईं। जहां उनकी हालत को नाज़ुक देखते हुए ऑपरेशन में उनका बायां पैर काटना पड़ा। इस हादसे के बाद मानसी की जिंदगी में सब कुछ बदल चुका था। ऑपरेशन के बाद उनको रिकवर होने के लिए 45 से 50 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा।

ऐसे तय किया विश्व चैम्पियन तक का सफर

हादसे के बाद लगभग 50 दिन अस्पताल में गुजारने के बाद जब मानसी वापस अपने घर लौटीं तो ये उनकी ज़िंदगी का एक नया अध्याय था। उनकी ज़िंदगी अब पूरी बदल चुकी थी। एक आर्टीफिशियल पैर से अब उन्हें अपनी ज़िदगी गुजारनी थी। ऐसे समय में अक्सर लोग जिंदगी में किसी काम की उम्मीद छोड़ देते हैं। लोग ऐसे हादसों के बाद पूरी तरह से टूट जाते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, लेकिन मानसी ने ऐसे मुश्किल वक्त में भी हिम्मत नहीं हारी और इस चुनौती का डट कर सामना किया। बड़ी सर्जरी के बाद खुद को फिट रखने के लिए मानसी ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। इसके बाद मानसी ने योगा और मेडीटेशन के ज़रिए खुद को मजबूत बनाया। यहां से मानसी के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। साल 2014 में मानसी ने प्रोफेशनल बैडमिंटन खेलना शुरू किया और इसी साल के एशियन पैरा गेम्स 2014 के लिए सेलेक्ट हुईं और स्पेन में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला।

इसके बाद साल 2015 में इंग्लैंड में आयोजित किये गए पैरा-बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में मानसी ने हिस्सा लिया और मिश्रित युगल में रजत पदक जीत कर एक बड़ी उपलब्धि को अपने नाम किया। यहीं से मानसी के इस नए जीवन की शुरूआत हुई। उन्होंने इसके बाद बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद से उनको ट्रेनिंग देने के लिए कहा। जिसके बाद मानसी ने गोपीचंद की एकेडमी में एडमिशन ले लिया और गोपीचंद से कोचिंग स्टार्ट कर दी। साल 2018 में जकार्ता में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में हिस्सा लिया और भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। मानसी यहीं नहीं रुकीं और साल 2019 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड में आयोजित पैरा बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया। आज मानसी पैरा बैडमिंटन विश्व चैम्पियन हैं और वर्ल्ड रैंकिंग में नबंर 2 पर काबिज हैं और अब उनका लक्ष्य 2021 में होने वाले टोक्यो 2020 पैरा ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना है।

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बॉर्बी डॉल मानसी

आज मानसी देश का एक गौरव हैं। हर कोई उन्हें और उनके जज़्बे को सलाम कर रहा है। अक्टूबर 2020 में मानसी को टाइम्स मैग्ज़ीन ने ‘नेक्स्ट जेनरेशन 2020’ में शामिल किया। साथ ही मानसी टाइम्स मैग्ज़ीन के एशिया कवर पर जगह बनाने वाली दुनिया की पहली पैरा एथलीट और भारत की पहली एथलीट बनीं। इतना ही नहीं मानसी को बीबीसी ने दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली और प्रेरणादायी महिलाओं की सूची में जगह दी। वहीं मानसी को 11 अक्टूबर 2020 को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के मौके पर अमेरिका की बॉर्बी डाल बनाने वाली कंपनी ने मानसी और उनकी उपलब्धियों के सेलीब्रेट करते हुए उनके जैसी एक बॉर्बी डॉल बनाई और मानसी को सम्मानित किया। इसके साथ ही मानसी भारत की बॉर्बी डॉल भी बन गईं। मानसी उन कई लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो किसी हादसे से हार जाते हैं और चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं और जिंदगी को जीना छोड़ देते हैं।

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