Wednesday, January 1, 2025
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तेजस की राह में वर्क फ्रॉम होम का रोड़ा

लखनऊः बीते 14 फरवरी से पटरी पर दोबारा लौटी देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस की राह में वर्क फ्रॉम होम बड़ा रोड़ा बन रहा है। कोरोना के चलते वर्तमान समय में भी मल्टीनेशनल कंपनियां वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम ले रही हैं। इसके चलते इन कंपनियों में कार्यरत कर्मियों का आवागमन लगभग ठप है। इसके चलते ही तेजस एक्सप्रेस में उम्मीद के मुताबिक यात्री नहीं मिल रहे हैं।

आईआरसीटीसी के अधिकारी भी वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था के खात्मे की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। उनका मानना है कि तेजस के संचालन के पीछे बिजनेस क्लास के यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना ही मकसद था, मगर कोरोना काल के चलते यह उद्देश्य कहीं पीछे छूट गया है। अब वर्क फ्रॉम हटे तो तेजस में बिजनेस क्लास के यात्रियों की संख्या में इजाफा हो। वहीं आईआरसीटीसी के अधिकारी भी बिजनेस क्लास यात्रियों के आवागमन को ही तेजस के लिए संजीवनी मान रहे हैं। वहीं तेजस में रोजाना बुक होने वाले टिकटों की औसत की बात की जाए तो यह 1,078 टिकट के करीब है। आईआरसीटीसी के अधिकारियों के अनुसार, बिजनेस क्लास के यात्रियों का आवागमन शुरू हो तो तेजस में यह संख्या कहीं अधिक होगी।

तेजस में मिल रही सभी सुविधाएं

तेजस में आईआरसीटीसी की ओर से यात्रियों को सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। तेजस में खाना, पीने के पानी व अन्य सुविधाएं यात्रियों को पहले की ही तरह दी जा रही हैं। आईआरसीटीसी टिकट फेयर कम होने के बाद भी यात्रियों को यह सुविधाएं दे रहा है। जबकि शताब्दी जैसी वीवीआईपी ट्रेन में भी यात्रियों को खाने व पानी की सुविधा नहीं दी जा रही है। हालांकि शताब्दी में यात्रियों को सुविधाएं न देने के पीछे तेजस को सफल बनाने की बात कही जा रही है।

शताब्दी के बराबर तेजस का किराया

तेजस को सफल बनाने के लिए चेयरकार का किराया शताब्दी के बराबर किया गया है। इसके पीछे कम किराए में यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और यात्रियों की संख्या बढ़ाना मकसद है। वहीं एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया पूर्ववत रखा गया है।

देनदारी बनेगी मुसीबत

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तेजस को उम्मीद के मुताबिक यात्रियों के न मिलने से इसकी देनदारी रोजाना बढ़ती जा रही है। आईआरसीटीसी तेजस के संचालन के लिए प्रतिदिन रेलवे को 13 लाख रूपए देता है। इस प्रकार सप्ताह में 4 दिन संचालन के दौरान करीब 52 लाख रूपए अदा करना पड़ता है, जबकि अभी टिकट बुकिंग से इतना भी राजस्व नहीं जुटाया जा पा रहा है। उस पर यात्रियों को सुविधाएं देने का खर्च अलग से उठाना पड़ रहा है। जिससे देनदारी बढ़ रही है।

डेढ़ साल में देनदारी 40 करोड़

4 अक्टूबर 2019 को तेजस का संचालन लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुरू किया गया। इसके बाद कोरोना के चलते 5 महीने तक इसका संचालन बंद रहा। बीते साल सितंबर में फिर तेजस पटरी पर लौटी तो इसको यात्री ही नहीं मिले। जिसके बाद फिर से संचालन बंद करना पड़ा है। इस अवधि में करीब डेढ़ वर्ष तक तेजस के संचालन से करीब 40 करोड़ की देनदारी हो गयी, वहीं इसके 18 करोड़ से अधिक के टिकट ही बिके। ऐसे में सालाना 13 करोड़ के शुल्क के साथ संचालित की जाने वाली तेजस को लेकर अब रेलवे बोर्ड से मदद की गुहार लगायी जा रही है।

तिथि कुल बिके टिकट
14 फरवरी 1274
15 फरवरी 1015
16 फरवरी 911
17 फरवरी 914
21 फरवरी 1395
22 फरवरी 880
26 फरवरी 1035
27 फरवरी 873
28 फरवरी 1407

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