Tuesday, November 26, 2024
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महिला आरक्षण बिल पर ‘AAP’ने जताई आपत्ति, बताया महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक

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Womens Reservation Bill: आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए महिला आरक्षण बिल को ‘जुमला’ करार देते हुए इसे ‘महिलाओं को मूर्ख बनाने वाला बिल’ करार दिया है। संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन मीडिया से बात करते हुए आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, यह निश्चित रूप से महिला आरक्षण बिल नहीं है, यह ‘महिलाओं को बेवकूफ’ बनाने वाला बिल है।

सिंह ने कहा, ‘हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आये हैं, तब से उन्होंने जो भी वादे किये थे उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ है। सिंह ने कहा, यह उनके द्वारा लाया गया एक और ‘जुमला’ है। अगर आप बिल लागू करना चाहते हैं तो आप पूरी तरह से इसके पीछे हैं, लेकिन इसे 2024 में लागू करें। क्या आपको लगता है कि देश की महिलाएं बेवकूफ हैं?

आप नेता ने कहा, महिला विरोधी भाजपा अब बिल के नाम पर एक और ‘जुमला’ लेकर आई है। देश की महिलाएं और राजनीतिक दल इन चुनावी हथकंडों को समझते हैं। इसलिए, हम कहते हैं कि अगर उनकी मंशा साफ है, तो इसे 2024 में लागू करें। उनकी टिप्पणी संविधान (128 वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में व्यवसाय की अनुपूरक सूची में पेश किए जाने के एक दिन बाद आई।

ये भी पढ़ें..UP: महिला आरक्षण का सपा प्रमुख ने किया विरोध, बोले-यह बिल लागू नहीं हो सकता..

परिसीमन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही होगा लागू

महिला आरक्षण विधेयक (Womens Reservation Bill) में प्रस्ताव है कि आरक्षण 15 साल की अवधि तक जारी रहेगा और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के भीतर एससी और एसटी के लिए एक कोटा होगा। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस कानून के लागू होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे परिसीमन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही लागू किया जाएगा, संभवतः 2029 में। परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा।

कांग्रेस ने इसे ‘चुनावी जुमला’ बताया

बिल के मुताबिक हर परिसीमन के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें बदल जाएंगी। सरकार ने कहा कि महिलाएं पंचायतों और नगर निकायों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन विधानसभाओं और संसद में उनका प्रतिनिधित्व अभी भी सीमित है। इसमें कहा गया है कि महिलाएं अलग-अलग दृष्टिकोण लाती हैं और विधायी बहस और निर्णय लेने की गुणवत्ता को समृद्ध करती हैं। कांग्रेस ने इस बिल को ”’चुनावी जुमला” करार दिया है और इसे देश की महिलाओं और लड़कियों के साथ धोखा बताया है।

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