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Women Reservation Bill: लोकसभा में महिला आरक्षण बिल हुआ पेश, 33% सीटें महिलाओं के लिए होगी आरक्षित

Women-reservation-bill-introducedParliament Special Session: संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है। साथ ही पुराने संसद भवन का आखिरी दिन भी। इसके साथ ही भारत ने एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किए गए 96 साल पुराने संसद भवन को अलविदा कह दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल नाम दिया गया है। इस बिल को पेश करने का प्रस्ताव पास हो गया है।अभी इस बिल पर चर्चा होनी बाकी है।

इससे पहले आज गणेश चतुर्थी के दिन नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी समेत सभी सांसद पुरानी इमारत से पैदल चलकर नए संसद भवन पहुंचे। दोपहर 1.15 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यवाही शुरू की। इस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया। महिला आरक्षण बिल पर सभी पार्टियां एक साथ नजर आ रही हैं। ऐसे में इस बिल के दोनों सदनों से आसानी से पारित होने की उम्मीद है। इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।

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लंबे समय से चल रही थी महिला आरक्षण की मांग

आपको बता दें कि सोमवार शाम को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें महिला आरक्षण बिल (Women reservation bill) पर चर्चा हुई।इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। हाल ही में हुई सर्वदलीय बैठक में महिला आरक्षण बिल को लेकर सभी दलों में सहमति बनी थी। कांग्रेस ने कहा था कि पार्टी लंबे समय से मांग कर रही थी कि महिला आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।हम केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की खबर का स्वागत करते हैं।

महिला आरक्षण बिल को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि इससे लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।महिला आरक्षण को पीएम मोदी ने ‘नारी शक्ति वंदन कानून’ नाम दिया है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन कानून लोकतंत्र को मजबूत करेगा।अपने 25 मिनट के भाषण में पीएम मोदी 10 मिनट तक महिलाओं के मुद्दों पर बोले।

क्या है महिला आरक्षण विधेयक ?

भारत का महिला आरक्षण विधेयक एक संवैधानिक संशोधन विधेयक है। इसके जरिए कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।यह विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था, लेकिन तब से यह पारित नहीं हो सका। विधेयक के मुताबिक आरक्षित सीटों पर उम्मीदवारों को किसी भी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने की इजाजत होगी।

यह विधेयक 33% कोटा के भीतर SC/ST और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव करता है। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के माध्यम से आवंटित की जा सकती हैं। महिला आरक्षण विधेयक के समर्थकों का तर्क है कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण और प्रतिनिधित्व में सुधार की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

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