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इन देशों को भाया भारत का Generic pharmacy model, कर रहे ये तैयारी

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नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दस से ज़्यादा देश भारत के जेनेरिक फ़ार्मेसी मॉडल (Generic pharmacy model) को अपनाने पर विचार कर रहे हैं ताकि लोगों को किफ़ायती दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा सकें। जुलाई में, मॉरीशस पहला ऐसा देश बन गया जिसने अंतरराष्ट्रीय जन औषधि केंद्र शुरू किया, जिससे उसे भारत के फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइस ब्यूरो से लगभग 250 उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयाँ प्राप्त करने में मदद मिली। इनमें कार्डियोवैस्कुलर, एनाल्जेसिक, ऑप्थाल्मिक और एंटी-एलर्जिक दवाएँ शामिल हैं।

ये देश अपनाना चाहते हैं Generic pharmacy model

श्रीलंका, भूटान, घाना, सूरीनाम, निकारागुआ, नेपाल, मोज़ाम्बिक, सोलोमन द्वीप और तालिबान शासित अफ़गानिस्तान भी जन औषधि केंद्र खोलने पर विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बुर्किना फ़ासो, फ़िजी द्वीप और सेंट किट्स और नेविस इस योजना को लागू करने में मदद के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं।

देश भर में खुल चुके हैं 13,822 औषधि केंद्र

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक जन कल्याणकारी योजना है। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से आम जनता को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाती हैं। 2014 में देश में केवल 80 जन औषधि केंद्र थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 तक देश भर में कुल 13,822 जन औषधि केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।

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लोगों को हो रहा फायदा

इन केंद्रों ने सितंबर में 200 करोड़ रुपये की बिक्री भी दर्ज की, जो पीएमबीजेपी के इतिहास में सबसे अधिक मासिक बिक्री है। पिछले 10 वर्षों में केंद्रों के माध्यम से 6100 करोड़ रुपये की दवाइयाँ बेची गई हैं, जिससे लोगों को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। जन औषधि केंद्रों पर दवाओं, सर्जिकल उपकरणों और न्यूट्रास्युटिकल उत्पादों की कीमत ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्य से कम से कम 50 प्रतिशत सस्ती है और कुछ मामलों में 80 से 90 प्रतिशत तक सस्ती है।

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