Saturday, April 5, 2025
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महिलाओं ने रक्षा सूत्र बांध कर किया बक्सवाहा के जंगल की कटाई का विरोध

सिवनीः जिले के मातृशक्ति संगठन की महिलाएं बक्सवाहा जंगल कटाई के विरोध में गत दिवस जिला छतरपुर के बक्सवाहा के जंगल में पहुंचीं। जहां उन्होंने कई ग्रामों का भ्रमण कर जंगलों में रह रहे विशेष आदिवासियों से उनके विचार जान कर पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधे और कहा कि अगर जंगल की कटाई नहीं रोकी गई तो ये आंदोलन और तेज होगा, क्योंकि इसमें अब पूरा देश एकजुट है। उन्होंने आश्वाशन दिया कि हम प्रकृति को बचाएंगे, बक्सवाहा में जंगल नहीं कटने देंगे। हमें हीरे नहीं हरियाली चाहिए । मानव, पशु पक्षी, जीव जन्तु को जीवन की आवश्यकता है, हीरों की नहीं। यह बात गुरूवार को मातृशक्ति संगठन की अध्यक्ष सीमा चौहान ने हिस से कही।

उन्होंने बताया कि वन से ही जीवन है। छतरपुर जिला के बक्सवाहा जंगल में पन्ना के 15 प्रतिशत हीरे मिले हैं, जिन्हें जंगलों की कटाई करके निकाला जाने वाला है। बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान में मातृशक्ति यूथ विंग समर्पण युवा संगठन के साथ- साथ 14 राज्यों से आए प्रकृति-प्रेमियों ने भी अपनी पूर्ण सहभागिता निभाई जो जंगलों की कटाई से बचाने के लिए प्रयासरत हैं। इनमें पर्यावरण विद डॉ. धर्मेंद्र कुमार पटना बिहार से अपनी टीम के साथ शामिल हुए।

इस अभियान के तहत 8 अगस्त को छतरपुर ज़िले के गांधी भवन में सभी प्रकृति प्रेमियों ने जंगलों के बचाव के लिए एक संदेश रैली निकाली जिसका समापन छतरपुर बस स्टेशन पर एक-मानव-श्रंखला बनाकर किया गया। रैली में आमजनों को ये संदेश दिया गया कि हमें बक्सवाहा जंगल को बचाने हेतु लड़ाई लड़नी होगी। इसी क्रम में संगठन 9 अगस्त को छतरपुर ज़िले के भीमकुंड गया।

सीमा चौहान ने बताया कि इस दौरान उन्होंने पाया कि यहां पाई जाने वाली आदिवासी जनजाति जिसकी जनसंख्या 8000 से भी अधिक है, यह एक विशेष आदिवासी जनजाति है जो पूरे भारत वर्ष में कहीं नहीं पाई जाती है। गोह जनजाति के आदिवासी इन जंगलों में रहते हैं। इन्हें चमकता हुआ पत्थर नहीं वन सम्पदा जंगल और वन्य जीवों का बचाव चाहिए। किसी समय ये आदिवासी भारत में खैर के पेड़ों से कत्था बनाकर अपनी जीविका चलाते थे। लेकिन उस समय की सरकार ने खैर के वृक्षों को सहेजने के बजाय उन्हें कटवा दिया जिससे इन वृक्षों से अपना जीवन यापन कर रहे आदिवासियों को छिन्न- भिन्न होना पड़ा।

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संगठन द्वारा लोगों को बताया गया कि विकास विनाश और विन्यास हमारे अंतःकरण में हैं..आप किसे चुनेंगे…, हीरे नहीं हरियाली चाहिए..हर घर की खुशहाली चाहिए..प्रकृति ही जीवन की सबसे पहली इकाई है।

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