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चमोलीः उत्तराखंड वह राज्य है जहां पेड़ों को बचाने के लिए सालों पहले गौरा देवी ने चिपको आंदोलन शुरू किया था। इसी राज्य के चमोली में जंगलों को आग से बचाने के लिए महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। गोपेश्वर से 15 किलोमीटर दूर दशोली ब्लॉक के ठेली गांव की महिलाएं पर्यावरण प्रहरी बनकर जंगल को आग से बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं। यह महिलाएं जंगल को सुरक्षित रखने के लिए उसकी निगरानी करती हैं।
पिछले दिनों जंगल में दो बार आग लगने पर महिलाओं ने वन विभाग का मुंह ताकने के बजाय बिना देरी किए स्वयं आग को बुझा दिया। ठेली गांव के आसपास बांज, बुरांश और चीड़ का घना जंगल है। जहां बीते सालों में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। सरकारी प्रयासों के बाद भी जब आग लगने की घटनाओं में कमी नहीं आई, तो प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने जंगल की सुरक्षा में ग्रामीणों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए जनजागरण अभियान चलाया।
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इससे प्रभावित होकर ठेली गांव की महिलाओं ने गांव में महिला मंगल दल को सक्रिय किया और फिर टीम बनाकर जंगल की निगरानी शुरू कर दी। 48 परिवारों वाले ठेली गांव में 250 लोग रहते हैं। इनमें से 50 महिलाएं आग से जंगल की सुरक्षा करती हैं। गांव की महिलाएं कहती हैं कि जल, जंगल व जमीन जीवन के महत्वपूर्ण अंग है। जंगल की सुरक्षा एवं संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने भी महिलाओं की मुहिम की सराहना की। उन्होंने कहा कि जंगल की प्रथम पंक्ति के रक्षक के रूप में ग्रामीणों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ठेली गांव की महिलाओं ने जंगल को आग से बचाने की जो मुहिम छेड़ी है, वह दूसरे क्षेत्रों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगी।
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