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बहसों पर जिहाद, देश में फसाद क्यों

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बहसों पर जिहाद और देश में फसाद से लोग परेशान हैं। एक टीवी डिबेट में भगवान शंकर के लिए किए गए अमर्यादित शब्दों से उकसावे में आकर पैगंबर पर की गई टिप्पणी के बाद विवाद और कट्टर मुस्लिम समाज की 'सर तन से जुदा' धमकियों में घिरीं नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल को भाजपा ने छह वर्ष के लिए निलंबित कर दिया है। जिहाद और फसाद से परेशान लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में इसके लिए भाजपा नेतृत्व की तीखी आलोचना की है। इन लोगों का मानना है कि फिरकापरस्तों को खुश करने के लिए यह नहीं होना चाहिए था। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर की गई टिप्पणी के लिए उनके संसद में बोलने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। लोगों का कहना है अगर हिंदुओं की चिंता करने वालों को प्रताड़ित किया जाता है तो शाहीन बाग और किसान आंदोलन के बहाने दिल्ली को बंधक बनाने वालों को क्यों नहीं सजा दी जाती। ऐसे लोगों के आजाद रहने से ही अभी तक नुपूर और नवीन को कट्टरपंथी ताकतें धमका रही हैं। नुपूर को तो दुष्कर्म और हत्या की धमकी दी जा रही है। कुछ संगठनों ने तो उनका सिर कलम करने के लिए करोड़ तक का इनाम भी घोषित कर दिया है। शांतिप्रिय लोगों को गुस्सा इस बात पर है कि केंद्र सरकार और भाजपा अपनी पूर्व प्रवक्ता को कवच तक नहीं प्रदान कर रही। 'सर तन से जुदा' का नारा देने वालों के इरादे कितने खतरनाक थे इसका पता तब चला जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश में थे। लखनऊ में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश की अच्छी कानून व्यवस्था का हवाला दे रहे थे। ठीक उसी समय कुछ मुस्लिम अराजकतत्व नुपूर के बयान की आड़ लेकर कानपुर को 'पाकिस्तान' बनाने पर आमादा थे। जिस समय चैनलों पर ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी और राष्ट्रपति की कानपुर यात्रा का प्रसारण होना था, ऐन उसी वक्त कानपुर की हिंसा चैनलों पर छा गई ।

कानपुर हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी और विपक्ष ने हिंसा के लिए भाजपा प्रवक्ताओं की टिप्पणियों को ही जिम्मेदार ठहराया। मगर कानपुर को दंगों की आग में झोंकने वालों के खिलाफ मुंह पर टेप चिपका लिया। यही नहीं सपा के कुछ नेताओं ने कानपुर हिंसा के लिए पीएफआई और मुस्लिम समाज को क्लीनचिट तक दे डाली। सउदी अरब, कुवैत, पाकिस्तान और बहरीन तक इन टिप्पणियों की लपटें उठीं। नूपुर और नवीन को गिरफ्तार करने की मांग की जाने लगी। पाकिस्तान और अरब देशों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ट्वीट किए गए। भाजपा समर्थक इससे आहत हैं। सरकार और भाजपा की खामोशी उनके समझ से परे है। इनका कहना है कि नुपूर और नवीन के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है। इससे ज्ञानवापी परिसर में मिले प्राचीन विश्वेश्वर शिवलिंग को फव्वारा बताकर अपमान करने वालों के हौसले बलुंद हैं।

कांग्रेस सहित तमाम वामपंथी विचारक और छुटभैये हिंदुओं की आस्था पर प्रहार कर रहे हैं। मगर कुछ लोग हैं जो इसकी रक्षा कर रहे हैं। एक टीवी चैनल में एक मुस्लिम स्कॉलर ने भगवान शिव और शिवलिंग का अभद्र तरीके अपमान किया तो एंकर सुशांत सिन्हा ने उसे बहस से निकाल दिया। टीवी चैनलों पर मुस्लिम और वामपंथी विचारकों की भाषा और शब्दावली से शांत समाज के धैर्य का बांधा टूट सकता है। दिक्कत यह है कि कश्मीर के अलगाववादी आतंकी नेता यासिन मलिक को दस मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई तो गुपकार गठबंधन ने आलोचना की। इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। ऐसे आलोचकों को कड़ा जवाब दिया जाना चाहिए था। हिंदू समाज की चेतना पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है । कुछ समय पूर्व कर्नाटक में हिजाब विवाद पर एक मुस्लिम लड़की के समर्थन में अल्लाह हू अकबर के नारे के साथ लोग सड़कों पर आ गए थे। सेकुलर ताकतों ने इस लड़की को नायिका की तरह पेश किया। यह अलग बात है कि देश की सबसे बड़ी अदालत में इन्हें मुंह की खानी पड़ी। ठीक इसके उलट एक हिंदू महिला जो भगवान शिव का अपमान नहीं सह पाई और उसके आहत मन ने टिप्पणी कर दी तो उसे नायिका बनाने के बजाय अलग-थलग कर दिया गया गया। इससे अधिसंख्य हिंदू समाज नाराज है। सरकार और भाजपा को इस नाराजगी को समझना होगा।

मृत्युंजय दीक्षित