Amarmani Tripathi: कौन हैं अमरमणि त्रिपाठी? कभी यूपी की सियासत में चलता था सिक्का, एक गलती पड़ी भारी

9

amarmani-tripathi

Amarmani Tripathi: गोरखपुरः यूपी के पूर्व मंत्री और मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी ठहराए गए पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल से रिहा हो रहे हैं। हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी के अच्छे आचरण के कारण समय से पहले रिहाई का आदेश जारी किये गये हैं। 20 साल बाद अमरमणि त्रिपाठी जेल से बाहर आएंगे। लेकिन एक वक्त था जब यूपी में उनके नाम का सिक्का चलता था।

पूर्वांचल के बाहुबली के नाम से कुख्यात अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक दबदबा भी काफी था। कभी वह सपा के साथ रहे, कभी बसपा के साथ तो कभी भाजपा के साथ रहे और सत्ता का सुख भोगने से कभी नहीं चूके। अमरमणि कभी किसी पार्टी के नहीं रहे। उन्हें जहां अपना हित दिखता, वे उसी दल में शामिल हो जाते थे।

अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक सफर

अमरमणि त्रिपाठी ने राजनीति की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से की थी, लेकिन फिर वह कांग्रेस में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी को अपना राजनीतिक गुरु बनाया और उनसे राजनीति के गुर सीखें। हालांकि, राजनीति में आने से पहले अमरमणि अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे। इसलिए उन पर हत्या, लूट और मारपीट जैसे कई मामले दर्ज थे। यहां अमरमणि त्रिपाठी पहली बार साल 1996 में महराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बने और जीत हासिल की। इसके बाद वे लगातार चलते रहे। वह इस सीट से चार बार विधायक रहे।

1997 में कांग्रेस छोड़ दी और लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। फिर कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बने। 2001 में जब बस्ती में एक कारोबारी के बेटे के अपहरण मामले में उनका नाम आया तो बीजेपी ने उनसे दूरी बना ली। इसके बाद 2002 में अमरमणि त्रिपाठी बसपा के साझीदार बन गये। नौतनवा सीट से ही उन्हें दोबारा टिकट मिला और वह चुनाव जीत गये। 2002 में उन्होंने मायावती की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन 2003 में उन्होंने समाजवादी पार्टी में शामिल होना बेहतर समझा। मायावती की सरकार गिर गयी। माना जाता है कि इसमें अमरमणि का हाथ था। फिर वह मुलायम सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

ये भी पढ़ें..लालू यादव के मामले पर CM नीतीश ने साधा निशाना, बोले-जानबूझकर…

…और अमरमणि की जिंदगी में भूचाल आ गया

साल 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के बाद उनकी जिंदगी में भूचाल आ गया। वे इस भूचाल से फिर कभी उबर नहीं पाए। मधुमिता की गोली मारकर हत्या की गई थी, जांच में पता चला कि मधुमिता उस वक्त सात माह की गर्भवती थी। डीएनए टेस्ट में बच्चे के पिता के रूप में अमरमणि त्रिपाठी का नाम सामने आया। 2007 में उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)