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किसानों को लुभा रहे दूसरे प्रांतों से आ रहे गेहूं के बीज, मानसून की मेहरबानी से गदगद हैं किसान

लखनऊः इस बार मानसून अच्छा रहा, इसलिए माना जा रहा है कि काफी संख्या में किसान गेहूं की खेती (wheat cultivation) करने वाले हैं। अक्टूबर में खेतों में नमी भी काफी है और इसका फायदा भी किसान उठा रहे हैं। काफी संख्या में किसानों ने खेतों की जुताई भी करवा दी है। बस अभी दिक्कत है तो बीज की, लेकिन इसके लिए सरकार की ओर से व्यवस्था दी जा रही है।

किसान बीज बिक्री केंद्र से भी गेहूं के बीज (wheat cultivation) ले सकते हैं। निजी दुकानों में भी काफी विकसित बीज मिल रहे हैं, जबकि दूसरे प्रांतों से भी किसान गेहूं के बीज मंगवा रहे हैं। सरकार एवं वैज्ञानिकों की ओर से साल 2024 के लिए किसानों को गेहूं की नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसी भी फसल की उपज और गुणवत्ता के लिए उसके बीज की किस्म ही ज्यादातर जिम्मेदार होती है। किसान खुद मानते हैं कि नई किस्मों में पैदावार ज्यादा होती है। ज्यादा पैदावार के लिए किसान कृषि वैज्ञानिक से बीजों के चयन की जानकारियां ले रहे हैं। लखनऊ शहर में बीज बिक्री केंद्रों में गेहूं की डीबी डब्ल्यू 370, डीबी डब्ल्यू 371, डीबी डब्ल्यू 372 और डीबी डब्ल्यू 327 प्रमुख किस्मों के रूप में बिक रहे हैं।

पंजाब व हरियाणा से बीज मंगवा रहे किसान

15 सितंबर से ही किसानों ने इसकी खरीद भी शुरू कर दी थी। गठिया गेहूं को भी अच्छी प्रजाति के रूप में जाना जाता है। इसे डीबी डब्ल्यू 55 कहते हैं। डीबी डब्ल्यू 327 की मांग भी इन दिनों की जा रही है। किसान बीज के बारे में ज्यादा जानकारी भले ही नहीं रखते हैं, लेकिन गेहूं में पोषक तत्व बढ़ाने और रोग रोधिता बढ़ाने पर जोर जरूर दे रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं के उत्पादन (wheat cultivation) में माहिर हैं, इसलिए यूपी के किसान गेहूं के बंपर पैदावार के लिए वहां से बीज मंगवा रहे हैं। किसानों को उन्नत खेती के लिए कई बातों का ध्यान रखना है। गेहूं की खेती की तैयारी से लेकर बुवाई तक जानकारी के अभाव में किसान धोखा भी खा जाता है, इसलिए सबसे जरूरी है कि बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद जरूर डाली जाए। 25 अक्टूबर से नवंबर का पूरा महीना गेहूं की बुवाई के लिए सही समय है।

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बुवाई करने के 25 दिन बाद करें सिंचाई

कुछ किसान देर से बुवाई करते हैं, लेकिन पिछेती बुवाई से फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ता है। इसकी बुवाई के लिए 20-28 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, कारण कि ज्यादा दिन बीत जाने पर की गई बुवाई पर गर्मी प्रभाव डालती है। अधिक तापमान होने पर फसल जल्दी पक जाती है। बुवाई में अच्छे बीज चुने जाने चाहिए। खेत की मिट्टी भुरभुरी हो। खर-पतवार ठीक से हटा देना चाहिए। बीज के लिए अच्छे दाने का चयन जरूरी है। गेहूं की बुवाई (wheat cultivation) करने के 25 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए। फ़सल में पैदावार को उसको दी गई खाद एवं उर्वरक की मात्रा प्रभावित करती है, इसलिए उसे हरी खाद, जैविक खाद एवं रासायनिक खाद का संतुलित मात्रा दी जाना चाहिए। हरी खाद से खेत की मिट्टी को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है।

-शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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