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क्या है बायो E3 नीति, जैव अर्थव्यवस्था को इससे कैसे मिलेगी मजबूती

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नई दिल्ली: देश में बायो इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को बायो E3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति जारी की। नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में बायो मैन्यूफैक्चरिंग की पहल पर एक वेबसाइट भी जारी की गई। इस मौके पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। इस मौके पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बायो E3 नीति का जारी होना दूरगामी प्रभाव वाला ऐतिहासिक कदम है।

दूसरे देशों पर कम होगी निर्भरता

यह नीति बायो इकोनॉमी की अगुवाई में होने वाली क्रांति में अहम साबित होगी। खासकर पेट्रोलियम, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में इसकी अहम भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि यह नीति आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेगी। वर्ष 2014 में जैव अर्थव्यवस्था 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो आज कई गुना बढ़कर 137 बिलियन डॉलर हो गई है। वर्ष 2030 तक यह 300 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। पेट्रोलियम क्षेत्र पर इसके लाभों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे ईंधन की खपत का 86 प्रतिशत पेट्रोल से उत्सर्जित होता है। सारा पेट्रोल दूसरे देशों से आता है। लेकिन हम जैव प्रौद्योगिकी की मदद से अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं।

हरित विकास के पथ पर तेजी से बढ़ेगा भारत

हम 25 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे, 25 प्रतिशत बायोमास और शेष कार्बन डाइऑक्साइड को रिसाइकिल करके पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता को समाप्त कर सकते हैं। आने वाले दिनों में ऐसा होगा कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था विनिर्माण क्षेत्रों (global economy manufacturing sectors) पर निर्भर रहना बंद कर देगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य स्वच्छ, हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के लिए उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देना है। यह नीति वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए पूरे विश्व के भविष्य के आर्थिक विकास के शुरुआती मार्गदर्शकों में से एक के रूप में अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करेगी।

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उन्होंने कहा कि भारत को ‘हरित विकास’ के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, एकीकृत बायो ई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति सतत विकास की दिशा में एक सकारात्मक और निर्णायक कदम है। इस नीति का एक प्रमुख उद्देश्य रसायन आधारित उद्योगों को अधिक टिकाऊ जैव-आधारित औद्योगिक मॉडल में बदलना है। यह सर्कुलर बायोइकोनॉमी को भी बढ़ावा देगा, ताकि नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल किया जा सके। इसके लिए, यह बायोमास, लैंडफिल, ग्रीनहाउस गैसों जैसे अपशिष्टों के उपयोग को माइक्रोबियल सेल कारखानों द्वारा जैव-आधारित उत्पादों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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