कहां तक सफल होगा सपा-कांग्रेस का साथ, देखिए पहले क्या रहा परिणाम

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लखनऊः SP-Congress के गठबंधन पर नजर डालें तो इसका बीजेपी पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि पिछली बार उत्तर प्रदेश में दो बड़ी विपक्षी पार्टियां बीएसपी और एसपी भी मिलकर लोकसभा चुनाव में हाथ आजमा चुकी हैं। उस गठबंधन के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, पिछले चुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी को एसपी, बीएसपी और कांग्रेस से कुल 52,07,415 वोट ज्यादा मिले थे।

वोटों की बात करें तो बीजेपी को राज्य में कुल 4,28,57,221 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोटों का 49.98 फीसदी था। इसके अलावा अपना दल सोनेलाल को 1.21 फीसदी वोट मिले। वोटों की बात करें तो 10,38,558 वोट मिले। अगर बीजेपी और अपना दल एस के वोटों को जोड़ दिया जाए तो बीजेपी गठबंधन को 4,38,95,779 वोट मिले। वहीं बीएसपी को 1,66,58,917 वोट मिले, जो कुल पड़े वोटों का 19.26 फीसदी था।

वहीं समाजवादी पार्टी को 1,55,33,620 वोट मिले, जो कुल पड़े वोटों का 17.96 फीसदी था। वहीं कांग्रेस को 54,57,269 वोट मिले, जो कुल पड़े वोटों का 6.31 फीसदी था। पूरे प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर जीत मिली थी। अगर दूसरे नंबर पर आने के आंकड़ों पर भी नजर डालें तो प्रदेश में कांग्रेस सिर्फ तीन सीटों पर दूसरे नंबर पर थी, इनमें राहुल गांधी अमेठी से, राज बब्बर फतेहपुर से, श्रीप्रकाश जयसवाल कानपुर से दूसरे नंबर पर रहने वाले कांग्रेसियों में शामिल थे।

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अगर 2019 में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को मिले वोटों को भी जोड़ दिया जाए तो कुल वोट 3,76,49,806 हैं, जो बीजेपी को मिले 4,28,57,221 से 52,07,415 वोट कम हैं। सिर्फ सपा और कांग्रेस के वोटों को मिला दिया जाए तो वोट 2,09,90,889 होते हैं। ये बीजेपी से 2,18,66,332 वोट कम हैं यानी बीजेपी को करीब दोगुने वोट मिले हैं।

इस बार आरएलडी भी बीजेपी के साथ

गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले चुनाव में आरएलडी का एसपी-बीएसपी के साथ गठबंधन था। वहीं इस बार आरएलडी बीजेपी के साथ आ गई है, जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में काफी प्रभाव है। इसका असर भी कई जगहों पर देखने को मिलेगा। ऐसे में अगर वह 2014 के लोकसभा चुनाव (71 सीटें जीतीं) का रिकॉर्ड तोड़ दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

राजनीतिक विश्लेषक की राय

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि इस गठबंधन से दोनों पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं में जोश तो भर सकती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सीटें बढ़ने की उम्मीद नहीं है। यह तय है कि उत्तर प्रदेश में मृतप्राय होती जा रही कांग्रेस को कुछ ऊर्जा मिल सकती है। इससे समाजवादी पार्टी को नुकसान ही नजर आ रहा है।

बीजेपी के प्रदेश महासचिव का कहना

बीजेपी के प्रदेश महासचिव संजय राय कहते हैं कि हमारा संकल्प राज्य में 80 सीटें जीतने का है। ये हम नहीं उत्तर प्रदेश की जनता कह रही है। जनता के बीच विपक्ष दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। वे हवा में तीर चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भाजपा कार्यकर्ता हमेशा जनता के बीच रहकर जमीन पर काम करते हैं। ये तो हर कोई अच्छे से जानता है।

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