क्या कहती है यह हुंकार

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महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का पद छोड़कर विगत 12 फरवरी को महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजित होने के बाद पहली बार नाना पटोले का जब उनके गृह जिले भंडारा में आगमन तो उनका भव्य स्वागत हुआ। भंडारा में किसान पदयात्रा के समापन का औचित्य साधने के साथ-साथ दिल्ली में जारी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए भंडारा जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से भंडारा जिले में 18 फरवरी को आयोजित किसान पदयात्रा में नवनिर्वाचित महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने राज्य के किसानों, बिजली ग्राहकों के बारे में चर्चा न करके देश के अन्य हिस्सों की तरह महाराष्ट्र में डीजल-पेट्रोल तथा गैस सिलेंडर के बढ़े भाव पर अपना गुस्सा निकाला। नाना पटोले ने कोरोना काल में आए भारी भरकम बिजली बिल रद्द करने की राज्य की महाविकास आघाडी सरकार की वादाखिलाफी पर चुप्पी साधी और पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के बारे में सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन तथा अभिनेता अक्षय कुमार की ओर से कुछ भी न बोलने पर अपना गुस्सा निकाला और मनसे स्टाइल में कहा कि केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार रहते समय पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर ट्वीट करने वाले अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार अब चुप क्यों हैं? 

नाना पटोले ने चेतावनी भरे शब्दों में मनसे स्टाइल में कहा कि जनता से जुड़े इस मुद्दे पर कुछ भी न बोलने वाले अमिताभ बच्चन तथा अक्षय कुमार की फिल्में न तो महाराष्ट्र में चलने देंगे और न ही उनकी फिल्मों की शूटिंग महाराष्ट्र में होने देंगे। नाना पटोले ने इस दौरान यह खुलासा किया कि जिस वक्त केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सतारूढ़ थी, उस वक्त पेट्रोल की दर 60 रूपए प्रति लीटर होने पर अमिताभ बच्चन तथा अक्षय कुमार ने ट्वीट कर लोगों से गुजारिश की थी कि पेट्रोल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, लोग वाहन न खरीदें। उन्होंने उस दौरान यह भी कटाक्ष किया था कि अगर लोग वाहन खरीदेंगे तो उन्हें पेट्रोल  खरीदने के कर्ज निकालना पड़ेगा। अब जबकि पेट्रोल की प्रति लीटर दर 100 रूपए तक पहुंच गई है, फिर भी उक्त दोनों कलाकार मौन क्यों हैं।


 
नाना पटोले ने बिग बी (अमिनाभ बच्चन) तथा अक्की (अक्षय कुमार) जैसे चर्चित चेहरों पर ही अपनी खीझ क्यों निकाली, यह बात काफी चर्चाओ में है। दरअसरल अमिताभ बच्चन टाइगर प्रोजेक्ट तथा अक्षय कुमार द्वारा पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष साक्षात्कार लेने के कारण प्रधानमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं, इसीलिए नाना पटोले ने पेट्रोल की दरों पर इन दोनों नेताओं की चुप्पी को मुद्दा बनाकर भंडारा की किसान पदयात्रा में कुछ ऐसा कह दिया कि वे सभी समाचार पत्रों, चैनलों में सुर्खियों में आ गए। नाना पटोले के इस व्क्तव्य के बाद विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नाना पटोले के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में किसकी फिल्में चलेंगी और किसकी नहीं, यह तय करने का अधिकार किसी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का नहीं होता। 

यह सच है कि जनता से जुड़े विषयों पर किसी सेलिब्रेटी को बोलना चाहिए। लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, लेकिन अगर कोई सेलिब्रेटी इस मुद्दे पर नहीं बोल रहा है तो इसका आशय यह नहीं होता कि वह जिन क्षेत्र में काम कर रहा है, उस पर ही रोक लगाने की धमकी दी जाए। अगर इस आधार पर निर्णय होने लगे तो राज्य के नेताओं-मंत्रियों की सभाओं पर रोक लगा देनी चाहिए, क्योंकि अधिकांश नेताओं ने अपनी सभाओं में जितने भी आश्वासन दिए हैं, उनमें से कितने पूरे हुए हैं। केंद्र या राज्य सरकार की ओर से गरीबों के लिए शुरु की गई योजनाओं का कितना लाभ उनको मिला है। 

नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कमान कुछ दिनों पूर्व ही मिली हैं, इसलिए उन्हें अपनी आवाज सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, अपितु पूरे देश में पहुंचानी है, इसलिए उन्होंने किसान पदयात्रा से समापन के मौके पर किसान हितों से ज्यादा अपनी व्यक्तिगत पकड़ को मजबूती देने का लक्ष्य सामने रखकर अमिताभ बच्चन तथा अक्षय कुमार की ओर से पेट्रोल- डीजल पर बढ़ी कीमतों पर कुछ न बोलने के मुद्दे को उठाया। नाना पटोले की नज़र अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी की ओर हैं, इसलिए वे अब अपनी सभाओं में कुछ ऐसे मुद्दों को उठाना ज्यादा पसंद करेंगे तो दूर तलक जाने की क्षमता रखते हों। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अपने गृह जिले भंडारा में आए नाना पटोले से जिले के किसानों को बहुत उम्मीदें थी, उन्हें लगा था कि नाना पटोले किसानों से जुड़े मुद्दों पर कुछ बोलेंगे, लेकिन उन्होंने अपने भाषण में अमिताभ-अक्षय की बात करते यह बता दिया है कि अब वे जनहितों के मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन उनका प्रयास यह होगा कि उससे उनकी आवाज दिल्ली दरबार तक पहुंचे।

विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी छोड़कर अपनी पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनना एक तरह से अपने पुराने पद से कम होना है, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष पद मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने की सीढ़ी है, इसलिए प्रदेशाध्यक्ष पद स्वीकारने ज्यादा अच्छा है और इसी बात को ध्यान में रखकर नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष जैसे उच्च पद को छोड़कर यह कहते हुए महाराष्ट्र प्रदेश कांगेस अध्यक्ष का पद स्वीकार कर लिया कि पार्टी मुझे जो जिम्मेदारी देना चाहती है, उसे स्वीकार करना मेरा कर्त्व्य है। दिल्ली की सीमा पर जारी किसानों के आंदोलन को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने अब फिल्मी सितारों से जोड़ दिया है। किसान आंदोलन तथा पेट्रोल-डीजल पर मोदी सरकार पर अब तक विरोधी दल का हमला होता था, लेकिन नाना पटोले ने उसमें फिल्मी कलाकारों की चुप्पी का मुद्दा डालकर उसे और भड़काने की कोशिश की है। नाना पटोले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। अगर यह कहा जाए कि आज की तारीख में नाना पटोले महाराष्ट्र  कांग्रेस के सबसे तेज तर्रार नेता हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। 

मोदी सरकार ने पेट्रोल, डीजल तथा रसोई  गैस सिलेंडर की दर में बहुत वृद्धि कर दी है। पेट्रोल 100 रुपए लीटर तक पहुंच गया तो रसोई गैस सिलेंडर 800 रुपए तक पहुंच गया है। तेल, सब्जी, अनाज सब कुछ मंहगा हो गया है, ऐसे में गरीब तथा मध्यम वर्गीय लोगों का जीवन जीना मुश्किल हो गया है। केंद्र  की मोदी सरकार के विरोध में जनाक्रोश बढ़ता ही चला रहा है।  

केंद्र में डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली  कांग्रेस की यूपीए सरकार के पदारूढ़ रहते समय पेट्रोल दर की वृद्धि में बोलने वाले अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार को अब क्या होगा कि वे इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। क्या इन अभिनेताओं को केंद्र की मोदी सरकार की ओर से कुछ भी न बोलने के लिए कहा गया है, या फिर इन चर्चित चेहरों को जनता की परेशान से कुछ भी लेना-देना नहीं है। अभिनेता किसी मुद्दे पर बोले या न बोले यह उसका व्यक्तिगत प्रश्न है, लेकिन जब नेता या मंत्री जनहितों से जुड़े मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं तो मुद्दा बड़ा हो जाता है। पेट्रोल-डीजल-रसोई गैर सिलेंडर की बढ़ी दरों पर नाना पटोले ने अपना गुस्सा जी भर कर निकाला। उन्होंने इस मुद्दे पर सदी के नायक अमिताभ बच्चन तथा अक्षय कुमार की फिल्में महाराष्ट्र में न रिलीज न होने देने, उनकी फिल्मों की शूटिंग न होने की बात की हुंकार तो जरूर भरी लेकिन तालाबंदी के समय की महाविकास आघाडी सरकार की ओर से बिजली बिल में रियायत देने के मुद्दे पर सरकार के बैकफुट होने के विषय पर कुछ नहीं बोला। 

नाना पटोले को पेट्रोल-डीजल तथा रसोई गैस सिलेंडर के भाव पर मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाना तो खूब भा रहा है, लेकिन मंहगी बिजली पर उनका ध्यान नहीं है। मोदी सरकार का विरोध करने में जनहितों से जुड़े उन्हीं मुद्दों को छूना, जिससे केंद्र सरकार जुड़ी हो और उन मुद्दों को सिरे नाकारना जहां राज्य की ठाकरे सरकार विफल हो रही है, ऐसे में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की जनहितों के मुद्दे पर बरती जा रही दोहरी नीति यह बता रही है कि नाना पटोले किसानों की समस्या का समाधान करने के लिए भंडारा में हुई किसान पदयात्रा के समापन समारोह का हिस्सा नहीं बने, बल्कि उनका मुख्य ध्येय दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को और भड़काना था। 

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आंदोलन जितने दिनों तक जारी रहेगा, केंद्र सरकार की पेरशानी उतनी ही ज्यादा बढ़ेंगी, चूंकि नाना पेटोले किसी दौर में भाजपा से जुड़े रहे हैं, लेकिन आज उनकी गणना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धूर विरोधी नेता के रूप में होती है, इसलिए कांग्रेस ने नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद देकर दिल्ली की सीमा पर जारी किसानों के आंदोलन को और भड़काने के लिए सामने लाया है और नाना पटोले राज्य का भावी मुख्यमंत्री बनने की कामना करते हुए मनसे स्टाइल में अमिताभ बच्चन तथा अक्षय कुमार की फिल्में महाराष्ट्र न तो चलने देने और न ही उनकी शूटिंग होने देने की हुंकार भर रहे हैं। अब देखना यह है कि नाना पटोले की इस हुंकार से कांग्रेस को कितना फायदा होता है और पटोले के इस बयान पर बिग बी तथा अक्की क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।

सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)